लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही राजनांदगांव लोकसभा सीट वीआईपी बन गई है, क्योंकि यहां से कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को टिकट दी और भाजपा ने सांसद संतोष पांडे को रिपीट किया है।
चुनाव के समीकरण की समीक्षा की जाए तो देखा जा रहा है कि दोनों ही पार्टियों में कार्यकर्ता अपने प्रत्याशियों से खुश नहीं दिख रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी एक अनुशासित पार्टी मानी जाती है के कारण कहीं भी कार्यकर्ता खुलकर अपने उम्मीदवार संतोष पांडे का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेश बघेल को जिले के अपने ही कार्यकर्ताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है, कई कार्यकर्ता तो खुले मंच से भी विरोध कर चुके हैं।
वहीं राजनांदगांव जिले के चार विधायक डोंगरगांव से दलेश्वर साहू, डोंगरगढ़ से हर्षिता बघेल, मानपुर मोहला अंबागढ़ चौकी से इंद्रशाह मांडवी एवं खैरागढ़ गंडई छुईखदान से यशोदा वर्मा हाल में ही हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से जीते हैं वह भी कहीं पूर्व मुख्यमंत्री के लिए उनकी सक्रियता नजर नहीं आ रही। ना ही उनका चुनाव दौरा, ना ही उनका कोई पार्टी के लिए बयान, अभी तक नजर आया। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री केवल अपनी दमदारी पर ही राजनांदगांव जिले का चुनाव लड़ रहे हैं। कार्यकर्ताओं को नाराज कर कोई भी पार्टी चुनाव नहीं जीत सकती। इसमें भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यकर्ता एवं नेताओं को एकजुट करने में सफल रही है।
चुनाव का रुख मोदी लहर के चलते भाजपा के पक्ष में दिख रहा है, वही कांग्रेस अपने पूर्व मुख्यमंत्री के द्वारा छत्तीसगढ़िया वाद को लेकर मैदान में लगी हुई है।देखना होगा जनता का रुख किस ओर होता है।
(रिपोर्टर_ शेखर ठाकुर (जिला प्रमुख)