जौनपुर।शाहगंज, पत्रकारिता जगत के पुरोधा कहें जाने वाले मेरे गुरू श्री रविशंकर वर्मा जी ने न जाने कितने लोगों को अपनी तराशनी से तराश कर हीरा बनाया है। उनकी लेखनी जब भी चलती थी अल्फ़ाज़ खुद अपनी हकीकत बंया कर देते थे। उनकी सत्य लिखने की आदत ने उन्हें जनपद के गिने चुने पत्रकारों में खड़ा कर दिया था जो सत्य के साथ कभी समझौता नहीं किया।
मेरी पहली मुलाकात मेरे अजीज़ मित्र फैजान अहमद ने अप्रैल 2020 में करवाई थी। मुझे उनकी एक बात हमेशा याद आएगी जो उन्होंने मुझसे पहली बार कहा था। अश्क़ जी आप की लेखनी जब भी चले सच के पथ पर चले, यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें लिखना सभी चाहते हैं मगर लिखते क्या है यह उन्हें खुद नही पता होता। एक छोटे बच्चे की तरह उन्होंने मेरी ऊगलियाँ पकड़ कर लिखना सिखाया था।अभी मैं उनसे सीख ही रहा था कि कैंसर जैसी घातक बिमारी ने उन्हें मुझसे दूर कर दिया। मेरी सबसे पहली खबर शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित कक्षा छ: की किताब में कुछ महापुरुषों के जीवन परिचय के संबंध में था जिसमें बहुत सारी गलतियां थी वह खबर तहलका पोर्टल के साथ साथ लखनऊ से प्रकाशित होने वाले अखबार हिन्द वतन में भी छपा था उस खबर का ऐसा असर हुआ कि किताबों को खंगालना शुरू किया गया तब कमियाँ समझ में आई उस खबर को पढ़ कर उनके पास किसी बडे़ अधिकारी का लखनऊ से फोन भी आया था। उस खबर की कापी मैं शेयर कर रहा हूँ।
तब उन्होंने मुझसे कहा था आपकी पहली खबर ने ही पूरे शिक्षा विभाग में तहलका मचा दिया बस आप इसी तरह लिखते रहिए।
उनका इस तरह असमय हमें छोड़ कर चले जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति हैं।
ईश्वर उनकी आत्मा को चिर शांति प्रदान कर परिवार को दुख सहन करने की ताकत दे