
*शहर को भिक्षुक मुक्त कराने में सफल रणनीति का फिर प्रयोग करेंगे कलेक्टर*
इंदौर। शहर को भिक्षुकमुक्त बनाने में कलेक्टर की इनाम देने की रणनीति सफल साबित हुई और उसके बाद अब इसी योजना का प्रयोग राजस्व प्रकरणों के निपटारे को लेकर भी किया जाएगा। अभिनव पहल करते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने अधिकारियों के खाते से ही शिकायतकर्ता को इनाम दिलाने की तैयारी की है। 31 मई के पहले का कोई भी आवेदन पेंडिंग नहीं हो, इसके लिए पहले शिविर लगाए जाएंगे और उसके बाद अधिकारियों और कर्मचारियों पर आर्थिक गाज गिरेगी। अपनी समस्या लेकर आने वाले शिकायतकर्ताओं को 5000 रुपए इनाम के तौर पर दिए जाएंगे।
संवेदनशीलता का परिचय देते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने काम नहीं करने वाले अधिकारियों और उनके अधीनस्थों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का मोर्चा खोल लिया है। जो कर्मचारी अब तक बिना पैसे लिए काम नहीं कर रहे थे उन पर ही अब आर्थिक दंड की कार्रवाई करने की तैयारी कर ली गई है। 31 मई तक के सभी आवेदनों का शिविर लगाकर निपटारा करना होगा। 15 जुलाई के बाद कोई सुनवाई नहीं होगी। ज्ञात हो कि देपालपुर के एक किसान की जमीन पर किए गए कब्जे को लेकर आवेदक ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या की थी। उसके बाद कलेक्टर ने सख्त कदम उठाए हैं। समय पर निराकरण नहीं करने वालों को तो दंडित किया ही जाएगा, साथ ही किसी भी मामले को तब तक निराकृत नहीं माना जाएगा, जब तक उसकी अमल दर्ज की कार्रवाई पूरी नहीं कर ली जाती। कलेक्टर ने कहा है कि सभी तहसीलदार आवेदन का निराकरण करने के बाद संबंधित को कब्जा दिलाने की कार्रवाई भी तुरंत करें। उसे राजस्व अभिलेखों में भी दर्ज कर पूर्ण रूप से निराकृत किया जाए।
लापरवाही पर अनुशासनात्मक कार्रवाई
कलेक्टर ने आवेदनों का निराकरण के लिए 15 जुलाई तक का एक अभियान शुरू करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इस समयसीमा में अधिकारी सकारात्मक रूप से आवेदनों का निराकरण करें। निराकृत आवेदनों की संख्या बढ़ाने के लिए किसी भी तरह की चालाकी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होगी। कलेक्टर ने कहा कि समयसीमा में आवेदनों का निराकरण नहीं करने की सूचना देने वाले आवेदकों को 5000 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि उत्कृष्ट तथा समयसीमा में कार्य करने वाले अधिकारियों को पुरस्कार भी दिया जाएगा।
देपालपुर में सबसे ज्यादा परेशानी
कल हुई समीक्षा के दौरान यह सामने आया कि सीमांकन के 6000 से अधिक मामले अभी भी निराकृत नहीं हो पा रहे हैं। सबसे अधिक मामले देपालपुर तहसील के अंतर्गत तहसीलदार नायब तहसीलदार और अपर तहसीलदार क्षेत्र में लंबित हैं। नामांतरण के आवेदनों की संख्या भी अधिक सामने आई है। मामले में लोकसेवा गारंटी अधिनियम के तहत नायब तहसीलदार बड़ा बांगड़दा, बिचौली हप्सी, सिमरोल, आगरा, बेटमा, मानपुर, सांवेर और कनाडिय़ा, तहसीलदार देपालपुर, महू और मल्हारगंज पर समयसीमा में आवेदनों का निराकरण नहीं करने के लिए पेनल्टी लगाई गई है।