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निमाड़ की बेटी आकृति अत्रे के आर्ट ने जीता गुजरात का दिल, सूरत की साड़ियों पर छपेंगे इनके डिजाइन,

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एडिटर/संपादक:-तनीश गुप्ता,खण्डवा

निमाड़ की बेटी आकृति अत्रे के आर्ट ने जीता गुजरात का दिल, सूरत की साड़ियों पर छपेंगे इनके डिजाइन,

खंडवा ।।अगर लगन, हुनर और सही मार्गदर्शन हो तो एक छोटे शहर की बेटी भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकती है हम बात कर रहे है खंडवा की आकृति अत्रे की इस होनहार कलाकार ने यह साबित कर दिया है कि कला की कोई सीमा नहीं होती न भूगोल की और न ही भाषा की। नगर की बेटी आकृति अत्रे ने कला के क्षेत्र में ऐसा मुकाम हासिल किया है, जिससे पूरे निमाड़ को उन पर गर्व हो रहा है। समाजसेवी व प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से विभिन्न कलात्मक विधाओं में काम कर रहीं आकृति ने अब सूरत की प्रसिद्ध साड़ियों पर अपने डिजाइन के जरिए गुजरातियों का दिल जीत लिया है। सूरत के ‘प्रगति ग्रुप’ ने उनके डिजाइनों को अपनी साड़ियों पर छापने का निर्णय लिया है। अब ये डिजाइन देशभर में बिकने वाली साड़ियों पर नज़र आएंगे और संभव है कि कई सेलिब्रिटी भी इन्हें पहनें।आकृति बताती हैं कि उनके कला गुरु बैजनाथ सराफ ‘वशिष्ठ सर’ के मार्गदर्शन में उन्होंने न सिर्फ पेंटिंग, रंगोली, मेहंदी, ऑइल पेंटिंग और एक्रेलिक वर्क सीखा, बल्कि डिजाइनिंग में भी विशेष रुचि विकसित की। गुरुजी के कहने पर आकृति ने अपने कुछ डिजाइनों को सूरत के टेक्सटाइल ग्रुप को भेजा। उन्होंने ब्लैक एंड व्हाइट और एक कलरफुल डिजाइन भेजी, सुनील जैन ने बताया कि आकृति अत्रे की दोनों डिजाइन वहां से सेलेक्ट हो गईं। इसके बाद ग्रुप की ओर से उन्हें आर्थिक सम्मान भी मिला और उनके डिजाइन कॉटन साड़ियों पर प्रिंट होकर कई शहरों में भेजे गए। यह अवसर आकृति के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म साबित हुआ।आकृति के अनुसार, “एक छोटे से शहर में बैठकर मैंने केवल एक डिजाइन भेजी थी। नहीं पता था कि वो इतनी बड़ी पहचान दिला देगी। आज जब मुझे यह मालूम चलता है कि मेरी डिजाइन की हुई साड़ी महिलाएं पहन रही हैं, तो गर्व होता है।” आकृति का कहना है कि पैसा तो अपनी जगह है, लेकिन जब आपका आर्ट पहचाना जाता है, तो उसका संतोष और खुशी कहीं अधिक होती है। सिर्फ यही नहीं, आकृति ने दिल्ली, भोपाल, कोलकाता और बेंगलुरु जैसी जगहों पर भी आर्ट एग्जिबिशन में हिस्सा लिया है। बेंगलुरु में उन्हें “ऑसम आर्टिस्ट अवार्ड” से नवाज़ा गया। साथ ही उन्होंने आकाशवाणी पर कई बार इंटरव्यू दिए और अनेक शोज़ में एंकरिंग भी की है।
उनका सिरामिक आर्ट वर्क अमेरिका तक पहुंच चुका है, जिसमें पूजा की थालियां, शुभ-लाभ, कलश आदि का डिज़ाइन शामिल है। आकृति बताती हैं कि अमेरिका और दिल्ली जैसे शहरों में उनके कस्टमर बेस हैं जो उनसे ऑर्डर पर डिजाइन मंगवाते हैं।वे पिछले नौ वर्षों से खंडवा के पौध्दार इंटरनेशनल स्कूल में आर्ट टीचर हैं और कई छात्रों को आर्ट की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। सुनील जैन ने बताया की प्रिंट मीडिया के प्रतिष्ठित मीडिया हाउस के आयोजनों में उन्होंने निर्णायक की भूमिका भी निभाई है। उनका उद्देश्य है कि वे बड़े शहरों में जाकर नए आर्ट फॉर्म सीखें और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचें।

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