स्कूल-कॉलेज जाने वाले युवक-युवतियां घर से निकल कर कहां जा रहे है, इसकी जानकारी रखने की जिम्मेदारी अभिभावकों (माता-पिता) की है। कोई भी माता-पिता यह नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी किसी अनजान युवक के साथ होटल अथवा रेस्टोरेंट में जाए। इसी प्रकार कोई माता-पिता यह नहीं चाहेगा कि उसका बेटा किसी अनजान लड़की के साथ बंद कमरे में जाकर बैठे। पिछले दिनों अजमेर में एक स्कूली छात्रा को ब्लैकमेल करने का मामला उजागर हुआ। स्कूली छात्रा को प्रेमजाल में फंसाकर अश्लील फोटो खींचे गए और फिर उसे ब्लैकमेल किया गया। इस घटना के मद्देनजर ही अजमेर के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पुलिस अधीक्षक देवेंद्र कुमार विश्नोई को सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए। देवनानी के निर्देश पर अजमेर शहर के होटलों और रेस्टोरेंटों पर छापामार कार्यवाही की गई। पुलिस ने 60 युवक-युवतियों को हिरासत में लिया और फिर 40 युवकों को हिदायत देकर छोड़ दिया, लेकिन 20 युवकों को शांति भंग करने अपराध में गिरफ्तार किया। पुलिस ने होटल और रेस्टोरेंट मालिकों को हिदायत दी है कि वे युवक-युवतियों के बैठने वाले स्थान को पारदर्शी बनाए। यानी रेस्टोरेंट में ऐसा स्थान न हो, जो पर्दे से ढका हो। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि कई रेस्टोरेंट में फोटोग्राफर भी सक्रिय हैं जो युवक-युवतियों के फोटो चुपचाप खींच लेते हैं। बाद में ऐसी युवतियों को ब्लैकमेल किया जाता है। पुलिस की इस छापामार कार्यवाही से शहर भर में हड़कंप मच गया है। पुलिस ने 13 जून को जो कार्यवाही की उस में एएसपी दुर्ग सिंह राजपुरोहित, थानाधिकारी अरविंद सिंह चारण, छोटेलाल, वीरेंद्र सिंह आदि शामिल रहे। यह कार्यवाही उन युवक-युवतियों के लिए भी सबक है जो अपने घर से स्कूल कॉलेज अथवा कार्य स्थल के लिए निकलते हैं, लेकिन चोरी छिपे किसी होटल अथवा रेस्टोरेंट में पहुंच जाते हैं। अजमेर, पुलिस ने यह कार्यवाही वैशाली नगर स्थित सेवन वंडर टूरिस्ट पैलेस, नौसर घाटी, फॉयसागर रोड, जयपुर रोड आदि पर बने रेस्टोरेंटों पर की। वैसे तो छात्र-छात्राओं पर निगरानी रखने का काम अभिभावकों का है, लेकिन अजमेर पुलिस ने अभिभावकों की भूमिका निभाकर सराहनीय काम किया है। इससे उन तत्वों पर नियंत्रण होगा, जो स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को प्रेम जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करते हैं। यह माना कि युवतियों को स्वतंत्रता है, लेकिन जब ऐसी युवतियां ब्लैकमेलिंग का शिकार होती हैं तो सबसे ज्यादा परेशानी अभिभावकों को होती है। पुलिस ने रेस्टोरेंट मालिकों को पारदर्शिता बरतने के जो निर्देश दिए है उसकी भी सराहना की जानी चाहिए। स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं आखिर किसी रेस्टोरेंट में पर्दे लेंगे वाले स्थान पर क्यों बैठना चाहते हैं? पुलिस ने जो छापामार कार्यवाही की है, उसे आगे भी जारी रखने की जरूरत है।
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