उत्तर प्रदेशगोंडा

मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा पर ध्यान दें मुसलमान

मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा पर ध्यान दें मुसलमान

मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा पर ध्यान दें मुसलमान,

जमाल अख़्तर सदफ,

इस्लाम धर्म के प्रसिद्ध स्कॉलर एवं सामाजिक कार्यकर्ता मौलाना जमाल अख्तर सदफ सेझिया गोंडा के एक धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मुसलमान अपने मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा पर भी ध्यान दें,
बच्चों को फिजिक्स,साइंस, मैथ कंप्यूटर की शिक्षा अवश्य दिलवाएं,
एक विकसित समाज के लिए ज़रूरी है कि वह सामाजिक व्यवस्था और उसकी ज़रूरतों को समझते हुए खुद को तैयार करे, और विकसित समाज के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है।
मुसलमानो की तालीम पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सब से ज़्यादः ड्राप आउट मुसलमानो के बच्चे हो रहे हैं, पढ़ाई छोड़कर शहरों में मेहनत मजदूरी करने के लिए हमारे बच्चे चले जाते हैं,
इस से उनका लाभ नही होने वाला है,
जीवन को अंधरकार में डालकर कब तक मज़दूरी करेंगे मुसलमान,
पढ़ाई की तरफ ध्यान न देना खुद को कमज़ोर करना है,
जब तक ज्ञान नही होगा जीवन अंधेरे रहेगा, अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए आधुनिक ज्ञान का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है,
दुनिया भर में जितने भी देश हैं उनमें जो ताक़तवर हैं वह ज्ञान की बुनियाद पर हैं, शिक्षा की वजह से ही जीवन खूबसूरत और भविष्य को उज्ज्वल बनाया जा सकता है।
हमे भी पढ़ाई पर ध्यान देने की आवश्यकता है,
आधी रोटी खाइये लेकिन अपने बच्चों को ज़रूर पढ़ाइये, कोशिश करिए कि किसी का बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए।
जमाल अख़्तर ने आपसी भाईचारे पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस्लाम की तालीम है कि पड़ोसी के साथ प्रेम से पेश आओ, उनसे मोहब्बत करो,
पड़ोसियों के ख्याल रखना और उनके सुख दुःख में शामिल होना ये हमारी ज़िम्मेदारी है,
इस्लाम का नारा है कि भूखों को खाना खिलाओ और प्यासों को पानी पिलाओ, चाहे वह किसी भी धर्म सम्प्रदाय का हो।
इस्लाम ने इंसानियत की कद्र करना सिखाया है, और इंसानियत को सर्वश्रेष्ठ रखा है,
जिसमे इंसानियत नही वह इंसान जानवरों से भी बद्तर है,
उन्होंने ये भी कहा इस्लाम की सबसे बड़ी ये भी शिक्षा है कि जब रास्ते पर निकलो तो रास्ते के पत्थर, काँटों, को हटा दिया करो ताकि पीछे आने वाला इंसान उस से टकराकर कहीं तकलीफ में न आ जाये,
सर्व मानव संसार मे इस्लाम ने मोहब्बत और भाईचारे के रस को घोलने में सबसे बड़ी पहल की थी, जिसका नतीजा सामने है कि इस्लाम को अमन का मज़हब समझा जाता है,
इस्लाम मे हिंसा की कोई जगह नही है , और जो लोग इस्लाम के नाम पर हिंसा करते हैं उनका इस्लाम से कोई ताल्लुक नही है,
मंच से दूसरे धार्मिक शायर जमील गोंडवी व हाफिज सज्जाद साहब ने भी नात पढ़कर सभा को संबोधित किया,
हाफिज सज्जाद साहब ने कहा इस्लाम नफरत के मुकाबले में मोहब्बत का पैगाम देता है,
हमे किसी से भी नफरत नही करनी चाहिए,
सब एक खुदा के बंदे हैं सबको भाईचारे के साथ रहना चाहिए,
हिंसा का जवाब हिंसा से देना इस्लाम के खिलाफ है,
उन्होंने कहा पैगम्बर पर वहां के लोगों के ज़रिए तरह तरह की कठिनाई आई परन्तु उन्होंने संयम और धैर्य से काम लिया,
हमे भी विपरीत परिस्थितियों में संयम और धैर्य से काम लेना चाहिए,
जमील गोंडवी ने कहा हमारा देश सूफियों, ऋषियों, मुनियों का देश है,
यहां अनेकता में एकता है भाईचारा है,
विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं , गंगा जमुनी तहजीब का संगम हमारा देश दुनिया मे भाईचारा और एकता की मिसाल है।

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