नीलगाय, बंदर और जंगली सुअर ने किसान की नींद खराब कर रखी है। इन पशुओं का आतंक इनकी संख्या के मुताबिक अलग-अलग है। बिहार के लगभग जिलों में किसान परेशान हैं। पहाड़ी इलाकों मे भी किसान जंगली सुअरों के आतंक से परेशान है। कई इलाकों में बंदर भी किसानों का सिरदर्द बने हुए हैं। आखिर किसान अपने खेत कैसे बचाएं। इन सुअरों से बचने के लिए अभी तक कोई भी ऐसी दवा या केमिकल नहीं बन सका है। न ही ऐसी कोई तकनीक विकसित हुई है जो किसानों को इनसे निज़ात दिला सकें। एक और समस्या यह है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इनको मारा भी नहीं जा सकता है। फिलहाल किसान इनको खुद अपने दम पर ही खेतों से भगा रहे हैं।अपनी फसलों से उम्मीदें तो लगाकर रखते ही हैं। ऐसे में अपनी उम्मीदों को मूर्त रूप में लाने में उनके सामने बहुत सारी मुश्किलें और चुनौतियाँ आती हैं जो उनके उत्पादन और सफलता पर लगातार प्रश्न करते हैं। जंगली सुअरों से फसल को बचाने की चुनौती उन्हीं में से एक है |
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