*जन सुराज प्रेस नोट* *दिनांक: 03 फरवरी 2024* *स्थान: साहेबपुर कमाल प्रखंड, बेगूसराय* *जन सुराज पदयात्रा: 17वां महीना* *जिन नेताओं ने आपका हक लूटकर आपको गरीब बना दिया, अगर जाति-धर्म के नाम पर आप उनको ही वोट देंगे तो आपको भुगतना ही पड़ेगा: प्रशांत किशोर* *बेगूसराय*: जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शनिवार को जिले के साहेबपुर कमाल प्रखंड के 7 गांवों में पदयात्रा की। लगभग साढ़े 9 किमी की पदयात्रा के दौरान वे साहेबपुर कमाल प्रखंड के रसलपुर मीडिल स्कूल से पदयात्रा शुरू कर बाहलोरिया, समस्तीपुर, पंचवीर बाजार, मोगलसराय, पारोरा आदि गांवों से होते हुए सनहा के हाई स्कूल में रात्रि विश्राम के लिए पहुंचे। प्रशांत किशोर बीते 17 महीनों से बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। 2 अक्टूबर 2022 को प्रशांत किशोर ने पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से जन सुराज पदयात्रा की शुरुआत की थी। पश्चिम चंपारण से शुरू हुई पदयात्रा शिवहर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, बेगूसराय से खगड़िया जाएगी। आज की पदयात्रा के दौरान उन्होंने कई जगहों पर जन संवाद कर लोगों को वोट की ताकत का एहसास दिलाया। जनता को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि आप लोग कह रहे हैं कि आप लोगों को अपने बच्चों की चिंता है। कुछ लोग कहते हैं कि हम लोग इतने गरीब हैं कि अपने बच्चों के लिए कपड़े-चप्पल कहां से लाएं। जिन नेताओं ने आपका हक लूटकर आपको इतना गरीब बना दिया कि आप अपने बच्चों के लिए कपड़े-चप्पल तक नहीं खरीद सकते हैं। जिन नेताओं ने आपके बच्चों की ये दुर्दशा कर दी कि उनके शरीर पर कपड़ा नहीं, पैरों में चप्पल नहीं है, पेट में भोजन नहीं, हाथ में किताब-कॉपी नहीं है, वही नेता कल चुनाव में वोट मांगने आएगा, तो आप लोग उसी नेता को जाति-धर्म के नाम पर वोट दीजिएगा तो आपके बच्चे नहीं भोगेंगे तो कौन भोगेगा। जब आपको अपने बच्चों की चिंता ही नहीं है, तो कोई नेता आपके बच्चों की चिंता क्यों करेगा। *आप मुझे नहीं अपने पति-बेटों को देखिए जो सालों से घर छोड़कर दूसरे राज्यों में मजदूरी कर रहे हैं, अपने हक के लिए वोट दीजिए: प्रशांत किशोर* प्रशांत किशोर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि आप लोग अपनी दुर्दशा देखिए। आप हमें देखने आए हैं कि ये कौन आदमी है जो 16 महीनों से अपना परिवार छोड़कर पदयात्रा कर रहा है। लेकिन, आप अपने परिवार को देखिए, कोई ऐसा घर नहीं है जिसके घर से लोग मजदूरी करने के लिए बाहर नहीं गए हैं। हमने 16 महीनों से अपना घर छोड़ा है, लेकिन आपका पति, आपका बेटा सालों से अपना घर छोड़कर बाहर कमाने के लिए गया है। जो मजदूरी करने गए हैं वो साल में एक बार पर्व में अपने घर आते हैं तो आप अपनों मुंह देखते हैं। वे दूसरे राज्यों में अपना शरीर गलाते हैं, गाली खाते हैं, कष्ट करते हैं, पेट काटते हैं, तब आपको 6-8 हजार रुपए भेजते हैं। इसलिए अपना वोट अपने बच्चों के भविष्य को देखकर दीजिए।
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