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रायपुर – डा. आशा मेहर किरण” की छत्तीसगढ़ी काव्यकृति “बेटी मँय तोला कइसे पठोहूँ का भव्य विमोचन।

त्रिलोक न्यूज जिला रायगढ़ संवाददाता - रमेश चौहान  रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा-संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण को समर्पित साहित्यिक परिवार ‘छंद के छ’ द्वारा दीवाली मिलन समारोह एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन।

रायपुर – डा. आशा मेहर किरण” की छत्तीसगढ़ी काव्यकृति “बेटी मँय तोला कइसे पठोहूँ का भव्य विमोचन।

त्रिलोक न्यूज जिला रायगढ़ संवाददाता – रमेश चौहान 

रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा-संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण को समर्पित साहित्यिक परिवार ‘छंद के छ’ द्वारा दीवाली मिलन समारोह एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन रायपुर के प्रतिष्ठित वृंदावन हॉल में बड़े हर्षोल्लास और साहित्यिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ।

इस आयोजन में अंचल के 10 प्रमुख साहित्यकारों की नवीन पुस्तकों का विमोचन किया गया। इन्हीं में से एक रही डा. आशा मेहर “किरण” की बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह “बेटी मँय तोला कइसे पठोहूँ” का लोकार्पण भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार सरला शर्मा जी उपस्थित थीं, जबकि विशिष्ट अतिथियों में डा. सुधीर शर्मा, डा. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, छंद परिवार के गुरु श्री निगम जी, गुरुमाता श्रीमती सपना निगम जी, तथा ‘चंदेनी गोंदा’ के संपादक श्री सुरेश देशमुख जी शामिल रहे।

इस अवसर पर डा. आशा मेहर “किरण” की प्रथम कृति के रूप में प्रस्तुत इस संग्रह को छत्तीसगढ़ के अनेक साहित्य पुरोधाओं ने हृदय से सराहा और इसे छत्तीसगढ़ी साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया।

यह कृति छत्तीसगढ़ की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, लोकजीवन, खान-पान, रहन-सहन, मया-पीरा, खाय-खजाना, धान-पान, परिधान और किसान जीवन का जीवंत चित्रण प्रस्तुत करती है।

इस पुस्तक में कुल 75 छंदबद्ध कविताएँ संकलित हैं, जो गेयता, भावप्रवणता और लोक-संवेदना से ओतप्रोत हैं।

डा. आशा मेहर “किरण” ने इस पुस्तक को अपने पुत्र को समर्पित किया है, जिससे यह कृति मातृत्व के स्नेह और भावनात्मक गहराई को और अधिक संवेदनशील बनाती है।

पुस्तक की समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार ईश्वरी प्रसाद यादव, डा. विनय कुमार पाठक, एवं युवा साहित्यकार आनंद सिंघनपुरी द्वारा की गई। समीक्षकों ने कहा कि यह संग्रह छत्तीसगढ़ी काव्य की परंपरा में एक नई ऊर्जा का संचार करता है और आने वाले शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं साहित्य प्रेमियों के लिए यह पुस्तक निश्चित ही अध्ययन और शोध का मूल्यवान स्रोत सिद्ध होगी।

कार्यक्रम का संचालन संयोजक मंडल के सौजन्य से अत्यंत गरिमामय वातावरण में हुआ, और अंत में दीपदान, शुभकामना एवं सांस्कृतिक मिलन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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