
अलीराजपुर से ब्यूरो चीफ तुषार राठौड़ की खबर ✍️
अलीराजपुर -मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाके अलीराजपुर-झाबुआ में भगोरिया की धूम 7 मार्च से शुरू होने वाली है. आदिवासी संस्कृति (Adivasi culture) को विश्व मानचित्र पर जीवंत कर देने वाला भगोरिया पर्व अपने आप में अनगिनत खासियतों को समेटे है. ये साप्ताहिक हाट बाजार कि तरह ही होता है लेकिन इसकी रौनक आम हाट बाजारों से कई गुणा ज्यादा होती है. भगोरिया हाट में जाने के लिये बड़े, बूढे, बच्चे, युवा, युवलियां, महिलाएं हर कोई लालायीत रहता है. एक महीने पहले से ही आदिवासी जन जीवन भगोरिया की तैयारियों में जुट जाता है. आदिवासी युवतियां नये परिधान सिलवाती है, श्रृंगार करती है तो युवा भी सजधज कर बंसी की धुन छेड़ने लगते है. आदिवासी जन ढोल मांदल कसने लग जाते है. चारों तरफ उत्साह एवं उमंग का वातावरण रहता है. खेतों में गेहूं और चने की फसलें व वातावरण में टेसू, महुआ, ताडी की मादकता अपना रस घौलती है. ऐसे मनोरम वातावरण में भगोरिया की मस्ती जन मानस को मद मस्त कर देती है.
क्या होता भगोरिया का मतलब?
भगोरिया मतलब भौंगर्या, आदिवासीयों का पर्व, फसल पकने का त्यौहार, रंगों का त्यौहार. भगोरिया हाट बाजार मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ, आलिराजपुर, धार जिलों सहित निमाड़ के बडवानी में भी मनाया जाता है. आदिवासी समाज भगोरिया हाट की राह साल भर देखता रहता है. अपने इस खास पंसदीदा त्योहार को लेकर साल भर उत्सुकता बनी रहती है. इसके लिये वो काम की तलाश में देश भर में कहीं भी गया हो भगोरिया के लिये अपने गांव में जरूर लौट आता है.
झाबुआ अलीराजपुर जिले में कब कहा किस दिन भगोरिया हाट बाजार भरेगा देखिए सूची