*बा/पाली:-* सरकारी सिस्टम पर वन माफिया, माफिया, बेजा, कबाड़ी भारी पद रहे हैं। डीएफओ ने वनक्षेत्र के अधिकारियों-कर्मचारियों को व्यवसाय में ले लिया, साथ ही डिवीजन कार्रवाई के नामांकन के बाद ही अमला ने वनभूमि पर निर्मित भवन निर्माण और बांस, बल्ली पर कब्जा कर लिया। अपराध का मामला दर्ज किया गया है।
कटघोरा वनमंडल के अंतर्गत पाली वन क्षेत्र की भूमि में कब्रिस्तान, शीशम, सागोन, खैर सहित विभिन्न भंडार के बेशकीमती पेड़ लगे हुए हैं। जहां अवैध कटान के मामले में यह वन क्षेत्र हमेशा से ही राष्ट्रवादी बना हुआ है। क्योंकि इस वन क्षेत्र में रात के अंधेरे में ही नहीं बल्कि दिन में भी अवैध कटान होने के साथ ही अवैध इमारतों की आवाज भी गूंजती है। पाली वन परिक्षेत्र की जिम्मेदारी सम्हालने वाले अधिकारी की स्वतंत्रता के प्रति कर्तव्य विमूढ़ता और सुरक्षा में लगे वन परिक्षेत्र की निष्क्रियता के संगठन वन माफिया काफी हावी हैं। जिससे वनों और वनसंपदा की सुरक्षा रामभरोसे हो गई है। वन माफिया, अवैध अवैध खनन और अवैध कजादारी सरकारी तंत्र पर इसका नाम नहीं लिया जा रहा है। जबकि अधिकारी-कर्मचारी जिस कर्तव्यनिष्ठा जिले के लिए शासन से प्रतिमाह मोती पगार ले रहे हैं, वह कर्तव्यनिष्ठा से विमुख हो चले हैं। पाली वन क्षेत्र के ग्राम माखन में राष्ट्रीय संग्रहालयों से लगे वनभूमि में स्थानीय निवासी एक ग्रामीण द्वारा लगभग 5 डिसमिल भूमि पर कब्जा कर लिया गया था, मंदिर निर्माण की स्मारकीय भूमि पर कब्जा कर लिया गया था, यहां के क्षेत्र में पाली क्षेत्र के ग्राम माखन से कर बेजा कब्जा कर लिया गया था। , जो अधिकारी ने दिया ध्यान नहीं। 25 अक्टूबर को पूरे मामले की लिखित शिकायत वनमंडल के अधिकारी कुमार निशांत से की गयी थी। किस वनमंडल के अधिकारी-कर्मचारी को जबरन हटाया गया और वनक्षेत्र से भेजे गए कब्जे को हटाने के निर्देश दिए गए। जिसके बाद इस कार्य में पाली वन अमला द्वारा प्रयोगशाला पर आधारित बांस, बल्ली सहित अन्य को जब्त करने पर अपराध का मामला दर्ज किया गया। डीएफओ श्री निशांत ने अपने सभी निजी क्षेत्र के अधिकारियों-कर्मचारियों को विशेष प्रतिबंध दिया है कि वनों और वनों पर कठोर कार्रवाई की जाये। यदि इन विषयों में उद्योग स्थापित किए जाएं तो संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।