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कटघोरा वनमंडल के पाली परिक्षेत्र जंगल में घुंसे राजस्थानी भेड़ और बकरियां, बीट कर्मचारियों के निष्क्रियता से जंगलों को पहुंचा रहे नुकसान*

कोरबा/पाली :- कटघोरा वनमंडल अंतर्गत वन परिक्षेत्र पाली के जंगलो में इन दिनों राजस्थानी एवं गुजरात के भेड़, बकरियां, ऊंट वनस्पत्ति जंगलो को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। जो पिछले एक माह से विभिन्न सर्किल के जंगलों में घूम रहे है, जिसकी लगातार जानकारी आ रही है। वर्तमान में यह भेड़, बकरी और ऊंट पुटा व उड़ता के मध्य जंगलों में आसानी से दिखाई दे रहे है और कीमती जंगलो के छोटे एवं औषधीय पौधों को नष्ट कर रहे हैं। वन विभाग के संबंधित बीट कर्मचारियों द्वारा इसे रोकने कोई पहल नहीं किया जा रहा है और एक तरह से विभाग अनजान बने हुए हैं। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि विभागीय कर्मियों के संरक्षण में भेड़- बकरी क्षेत्र के जंगलों को क्षति पहुंचा रहे हैं।

कहा जाता है कि जिस जगह पर राजस्थानी भेड़ बकरी डेरा डालते है, उस स्थान पर हरियाली पूरी तरह खत्म हो जाती है। जानकारों ने बताया कि वर्तमान समय में राजस्थानी पाली वन परिक्षेत्र के जंगलों में डेरा डाले हुए है तथा उनकी भेड़ बकरियां हजारो की संख्या में चराई कर रहे है, जंगल मार्ग में ऊंट आसानी से दिखाई दे रहे हैं व बकरा बकरी खरीदने वाले खरीदी कर आना- जाना कर रहे हैं और विभाग को जानकारी न होना समझ से परे है। इस अवैध चराई के कारण जंगल के वन्यप्राणी जंगल छोड़कर अन्यत्र भटकने मजबूर हो रहे हैं जबकि शासन वन विभाग के जंगलो मे अन्य प्रांतो की भेड़ बकरी व ऊंटों के आने जाने व उसकी चराई के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित है। बावजूद इसके लगातार राजस्थान और गुजरात के भेड़ बकरियां और ऊंट बेधड़क जंगल के कीमती जड़ी बूटी व नर्सरी, कीमती वनों को चट करते जा रहे हैं। यह भी बताया जाता है ये बकरियां जिस जंगल से गुजरती है। वह जंगल क्षेत्र को नष्ट करते जाती है और इसके मलमूत्र से काफी नुकसान होने की जानकारी ग्रामीणों द्वारा दी जाती है। उड़ता, पुटा क्षेत्र के लोगों ने बताया कि प्रतिवर्ष के सितंबर- अक्टूबर माह में राजस्थानी उनके आसपास जंगलो में भेड़, बकरी, ऊंट लेकर पहुँच जाते है, जो डेरा डालते हुए आगे बढ़ते है। जिन्हें रोकने विभाग द्वारा कोई खास पहल करते अबतक दिखाई नही दे पाया है। विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं है। पाली परिक्षेत्र में सक्रिय रेंजर संजय लकड़ा के पदस्थ होने के बाद से इस परिक्षेत्र के जंगलो में काफी हद तक अवैध कटाई और अतिक्रमण के मामले में रोक लगी है। साथ ही उनकी सक्रियता के कारण वन प्राणियों के अवैध तस्करी एवं अवैध शिकार करने वालों पर भी कार्यवाही किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार इस परिक्षेत्र के विभिन्न सर्किल एवं बीट की जिम्मेदारी सम्हालने वाले वन कर्मियों को राजस्थानी एवं गुजरात भेंड़, बकरियों के जंगलों में चराई की पुख्ता खबर रहती है। लेकिन वे इसकी सूचना अपने शीर्ष अधिकारियों तक नही पहुँचाते, न ही उन्हें वन क्षेत्र से खदेड़ने कदम उठाते है। जिसका फायदा लेकर भेड़, बकरियां वाले लोग हजारों की तादाद में भेंड़, बकरी और कुछ ऊंट लेकर जंगलों में घुसते है। यह हाल पाली परिक्षेत्र ही नही वरन कटघोरा वनमंडल के सभी परिक्षेत्रों का है। जिस पर सख्ती से रोक लगाने की आवश्यकता है।

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