नेपाल से सटे सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज संसदीय सीट पर ज्यादातर समय हार-जीत जातीय समीकरणों और हिंदू-मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण पर ही टिकी रही है। जीत की हैट्रिक लगा चुके सांसद जगदंबिका पाल चौथी बार भाजपा के टिकट पर दमखम लगाए हुए हैं। पाल हर वर्ग को साधने में निपुण माने जाते हैं। इस बार उनके सामने गठबंधन में सपा ने भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को चुनाव मैदान में उतारा है। कुशल संतकबीरनगर से दो बार सांसद रह चुके हैं और पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण चेहरा दिवंगत हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे हैं। वहीं, बसपा ने नदीम मिर्जा पर दांव खेला है।
आजाद समाज पार्टी से पूर्व विधायक चौधरी अमर सिंह के चुनाव लड़ने से जातिगत समीकरण नए सिरे से बनने लगे हैं। सियासी पंडितों का मानना है विपक्ष अगर मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाताओं को साध पाएगी तभी भाजपा के गढ़ पर कब्जा कर पाएगी। इस संसदीय सीट पर भी छठे चरण में यानी 25 मई को मतदान होना है।
शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र सिसवा चौराहे पर चाय की दुकान सियासी बतकही का पुराना अड्डा है। स्थानीय निवासी विजय यादव ने कहते हैं, बाढ़ आती है और हर साल तबाही मचाती है। पर यहां तो इन मुद्दों पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है। जब चुनाव नजदीक आता है हिंदू–मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण पर ही सारा जोर लगने लगता है। जनता भी उसी रौ में बह कर मतदान करती है। चाय की चुस्की लेते हुए जमीरुल्लाह कहते हैं, चुनाव में पाार्र्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्योराप लगाती हैं, लेकिन जनता की समस्याओं की बात कोई नहीं करता।
बाढ़ प्रभावित गांव पड़रिया में चुनाव पर ही बहस छिड़ी थी। बिपत ने कहा कि चुनाव में इस बार बदलाव होना चाहिए। क्योंकि हर साल बाढ़ की तबाही से त्रस्त हो जाते हैं। उस समय बांध बनाने की बात होती है, लेकिन फिर लोग भूल जाते हैं। यह कभी मुद्दा नहीं बन पाया। इस पर परमेश्वर, राजू और रामस्नेही ने हामी भरी। वहीं, मो. उमर ने कहा कि कोई विकास, शिक्षा और उद्योग की बात नहीं करता है। चुनाव में धर्म और जाति की बात ही प्रमुख हो जाती है।
- खैरहनिया गांव के राकेश का कहना है कि इस बार ब्राह्मणों के सुर बदले हुए हैं। ब्राह्मण और दलित मतदाता अगर बिदके तो कहानी बदल सकती हैं।