सिंधी समाज द्वारा अपने इष्ट देव भगवान श्री झूलेलाल जी का जन्मोत्सव चेट्रीचण्ड्र के रुप में नव संवत्सर के साथ धूमधाम से मनाया गया।
सिंधी समाज अध्यक्ष दीवान मंगरानी ने बताया कि जलपति श्री वरुण देव के अवतार भगवान झूलेलाल जी का जन्म संवत् 1007 चैत्र मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को शुक्रवार के दिन अविभाजित भारत के ठठा नगर (नसरपुर) सिन्ध प्रान्त में सिन्धी हिंदुओं की रक्षा के लिए हुआ था।
उनके पिता का नाम रतनराय एवं माता का नाम देवकी था।
जन्म का नाम उदय चंद (उडे॒रोलाल) था।
पूज्य सिंधी पंचायत विदिशा द्वारा इस अवसर पर विगत कुछ दिनों से विभिन्न आयोजन किए गए ,जिसमें सभी महिलाएं, पुरुष, युवा वर्ग, वरिष्ठगण तथा बच्चों सहित सभी समाज जन ने झूलेलाल मंदिर में एकत्रित होकर अक्षत आहुति (अखो) पूजा अर्चना, आरती एवं विश्व कल्याण की प्रार्थना की।
दिनांक 07 अप्रैल को वाहन रैली तथा 09 अप्रैल को प्रभात फेरी निकाली गई।
चेटीचंड के दिन ज्योत प्रज्जवलित कर बहिराणा साहिब की पूजा, अक्षत आहुति (अखो) भजन, आरती एवं विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना (पल्लव) पश्चात प्रसादी वितरण भंडारा आयोजित किया गया तत्पश्चात भव्य शोभायात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए अंत में बैत्रवती घाट पर बहिराणा साहिब विसर्जन किया गया।
शोभायात्रा का भी नगर के मुख्य मार्गों पर कई व्यापारियों, समाजसेवियों तथा समितियों द्वारा पुष्प वर्षा, जल, शरबत, जूस, स्वल्पाहार, आइसक्रीम आदि के द्वारा स्वागत किया गया।
पूज्य सिंधी पंचायत पुरोहित पंडित राकेश महाराज ने शोभायात्रा में भजन प्रस्तुत किए जिन पर श्रद्धालु जमकर थिरके।
इस वर्ष एक विशेष बात यह है कि दिनांक 10 अप्रैल 1967 को सिंधी भाषा को भारतीय संविधान में मान्यता प्रदान की गई थी अतः इस दिन को सिंधी भाषा दिवस पर्व के रुप में भी मनाया जाता है ।
विश्व भर के सिंधी समाज ने इस अदभुत संयोग के त्योहार को धूमधाम से मनाया।
मतदान जागरूकता अभियान(स्वीप गतिविधि) में पूज्य सिंधी पंचायत की माताओं बहनों एवम सदस्यों ने अपने फोटो सेल्फी पॉइंट पर क्लिक किए ।