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रिपोर्टर= भव्य जैन
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर प्राचार्य डॉक्टर दीपक रावल के मार्गदर्शन में कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें प्राचार्य ने मातृभाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि 21 फरवरी 1999 से यूनेस्को द्वारा मातृभाषा दिवस मनाने का संकल्प लिया गया जिसमें मातृभाषा के विलुप्त होते स्वरूप को पुनः जीवित किया जा सके कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर मुकेश बघेल द्वारा बताया गया कि यूनेस्को की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि विश्व में प्रत्येक साथ दिवस में दो भाषाएं विलुप्त हो जाती है जब तक हम मानसिक रूप से अपनी भाषा को सहेजने के लिए तत्पर नहीं होते तब तक अपनी मातृभाषा का सम्मान नहीं हो सकता मातृभाषा को बालक अपनी माता से सीखना है और दैनिक व्यवहार में प्रयोग करता है प्रत्येक व्यक्ति को अपने दोस्त परिवार माता-पिता संबंधियों रिश्तेदारों से मातृभाषा में ही बात करना चाहिए कार्यक्रम का कुशल संचालन भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ प्रभारी प्रोफेसर प्रगति मिमरोट के द्वारा किया गया ।आभार डॉ कीर्ति सिंगोरिया ने व्यक्त किया।इस अवसर पर डॉ धूल सिंह खरत, प्रो संजय खांडेकर, डॉ कपिला बाफना, प्रो कोमल बारिया , प्रो जितेंद्र कौरव, प्रो जितेंद्र नायक ,डॉ रंगारी डोड़वा, डॉ प्रियंका डुडवे, डॉ मधुबाला मारु एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे!