रायपुर: नर्सिंग केयर सेवाओं पर उठे सवाल, संचालन की वैधता पर जांच की मांग
रायपुर में संचालित नर्सिंग केयर सेवाओं को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इन सेवाओं के संचालन और उनकी वैधता पर स्थानीय स्तर पर चिंताएं बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य विभाग को सूचना के अधिकार के तहत एक आवेदन देकर इन सेवाओं से संबंधित जानकारियां मांगी गई हैं।
सवालों के घेरे में नर्सिंग केयर सेवाएं:
1. क्या नर्सिंग अधिनियम का पालन हो रहा है?
रायपुर में कई नर्सिंग केयर सेवाएं ऐसी हैं, जो बिना किसी मान्यता के संचालित हो रही हैं। सवाल यह उठाया गया है कि क्या ये सेवाएं नर्सिंग अधिनियम (Nursing Act) के तहत कार्य कर रही हैं। यदि नहीं, तो इनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?
2. मरीजों की सुरक्षा का सवाल:
अगर किसी मरीज की इन सेवाओं के दौरान मृत्यु होती है, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या ऐसे मामलों में किसी प्रकार की कार्रवाई हुई है?
3. कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी:
इन सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों को न पीएफ (Provident Fund) दिया जा रहा है और न ही ईएसआई (Employees’ State Insurance) जैसी सुविधाएं। यह सवाल उठता है कि क्या ये सेवाएं अपने कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी कर रही हैं?
4. पंजीकरण का मुद्दा:
क्या बिना उचित पंजीकरण और सामाजिक रजिस्ट्रेशन के ऐसी सेवाओं का संचालन किया जा सकता है? यह मुद्दा स्वास्थ्य विभाग की निगरानी पर भी सवाल खड़ा करता है। बस जस्ट डायल गूगल से चल रही संस्थाएं सब पर कारवाही की मांग ओर जब से फर्म चालू हुई है उसकी जांच जरूरी
स्वास्थ्य विभाग से कार्रवाई की मांग
इस मामले में जो लोग लिप्त है वो अभी से अधिकारियों को सेटिंग करने में लगे है क्यों कि इन लोग अपनी सर्विस को चलाने के किया पुलिस ओर विभाग के लोगों को भी सर्विस प्रोवाइड करते है और फर्जी नर्सिंग यूनियन की भी बात करते है इन लोग स्टाफ को रखने के लिया गर्ल्स होस्टल का भी संचालन करते है जहां कई तरह के असामाजिक कार्य होते है
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग से मांग की गई है कि वह इन सेवाओं के संचालन की जांच करे और पारदर्शी तरीके से जानकारी उपलब्ध कराए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि मरीजों और कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन न हो। नर्सिंग केयर सेवाओं का यह मामला न केवल मरीजों की सुरक्षा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता और कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर एक गंभीर बहस खड़ी कर रहा है। अब देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग इस पर क्या कदम उठाता है।