
नंदीश्वर द्वीप की भाव यात्रा का आयोजन
बडौद. परम पूज्य साध्वीवर्या ब्राह्मी श्रीजी महाराज साहेब की निश्रा में नंदीश्वर द्वीप की भावयात्रा का आयोजन श्री आनंद चंद्र जैन आराधना भवन बडौद में हुआ. पूज्य श्री ने बताया कि नंदीश्वर द्वीप में 52 जिनालय है, जहाँ पर्वत, मंदिर ओर प्रतिमाजी शाश्वत है, प्रत्येक पर्व में देवता वहाँ जाकर भक्ति करते है.
हमारे यहाँ जिनालयों में साधु-संत निरंतर जो तप जप करते है उसी के चलते पृथ्वी पर संतुलन बना हुआ.
देव विमान से भाव यात्रा प्रारंभ होकर सर्व प्रथम यात्रा स्वर्ण पर्वत, मेरु पर्वत पर पंहुचती है. जहाँ शाश्वत 25 जिनालय में विराजमान 108 परमात्माओं के दर्शन कर नमो जिणानम करते है.
आगे बडने पर स्फटीक रत्न के उंचे-उंचे शिखर दिखते है, जो कि अष्टापद तीर्थ है, जहाँ पर रावण ने मंदोदरी के साथ आदिनाथ भगवान की भक्ति की थी. आदिनाथ परमात्मा को नमो जिणानम.
आगे जाते हुए लवण समुंद्र आता है, जो दो लाख योजन का होता है.
अगले द्वीप ढाई द्वीप आता है, जहाँ मृत्यु नहीं होती है, दिनरात नहीं होता. उसके उपरान्त क्षीर समुंद्र आता है, जिसके जल से देवता परमात्मा का अभिषेक करते है.
उसके उपरांत दूर से शीखर दिखते है, जो कि नंदीश्वर द्वीप है, सात द्वीप पार कर आठवें नंदीश्वर द्वीप पर स्फटीक से निर्मित 52 जिनालयों में 108 परमात्मा विराजमान, जहाँ देवलोक से कयी देवता परमात्मा के दर्शन हेतु आते है, सभी परमात्मा को नमो जिनानम करते है.
ट्रस्टी ललित जै. राजावत ने बताया कि नदीश्वर द्वीप की भाव संघ यात्रा के लाभार्थी त्रिकुट भाई पारसचंदजी चौधरी परिवार बडौद रहे. नंदीश्वर दीप की सुंदर रचना कृति दिलखुश जैन, पूजा नाहर, उज्जवल तलेरा आदि द्वारा की गयी. संगीत की मधुर प्रस्तुति आयुष चंद्रावला एवं हर्ष जैन द्वारा दी गई. प्रत्येक रविवार को पूज्य श्री के सानिध्य में विशिष्ट का आयोजन होता है.