
*कभी दूसरों को गिराने की चेष्टा ना करें, जिसके पास भक्ति का धन है वही धनवान है-पूज्य संत श्री डा. संतोषदेव महाराज*
*शिवधारा महोत्सव के प्रारंभ पर निकली भव्य शोभायात्रा*
खंडवा।। शनिवार को पावन नगरी के सिंधी कालोनी स्थित बगीचा ग्राउंड में वार्षिक शिवधारा महोत्सव में पधारे परम पूज्य संत श्री डा. संतोषदेव जी महाराज के नगर आगमन पर बस स्टैंड से महाराज श्री की भव्य शोभायात्रा ढोल ताशे के साथ निकाली गयी। जो सिंधी कॉलोनी स्थित आयोजन स्थल पर सम्पन्न हुई। जहां वरिष्ठ समाजजनों व्दारा जय जय शिवधारा के गगनभेदी जयकारों के मध्य पुष्प वर्षा के साथ महाराज श्री हृदय से स्वागत किया गया। यह जानकारी देते हुए समिति के रवि गिदवानी एवं निर्मल मंगवानी ने बताया कि इस अवसर पर संध्याकालीन श्री शिवधारा अमृत ग्रंथ पाठ साहब आरंभ हुआ एवं 7 बजे संध्याकालीन विशेष सत्संग व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। अपनी भाव भरी, क्रांतिकारी, ओजस्वी वाणी में परम पूज्य संत श्री डा. संतोषदेव जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचनों में कहा कि अपने जीवन में तरक्की चाहते हो तो नियमित रूप से बिल में रहने वाले जीवों को जैसे चीटियों को आटे में पीसी शक्कर मिलाकर खिलाये। अच्छी सोच से ही जीवन का उत्थान संभव है और अच्छी सोच मिलती है सत्संग कथा में आने से, वैसे तो कोई भी संत शास्त्र ग्रंथ पढ़कर अपने जीवन का उत्थान कर सकता है, परंतु किसी अनुभवी संत महापुरुष के सानिध्य में रहकर विशेष अनुभूतियां प्राप्त होती हैं, जिसमें सांसारिक एवं परमार्थ की उन्नति होती जाती है। संसार के नियमों का पालन करते हुए हमें जीवन में आगे बढ़ते जाना है, अपने जीवन में गुरू अवश्य बनाएं एवं गुरु मंत्र का जाप अवश्य करें, अभ्यास करने से हम दक्षता हासिल करते हैं, संबंधित अपने स्तर योग्यता और नालेज को बढ़ाएं। जो व्यक्ति संतो के साथ मिलकर गुरु नाम जाप करते हैं उनके करोड़ों पापों का नाश होता है, मानवता की ओर भी ध्यान रखें ,कुछ न कुछ मेरा योगदान विश्व स्वास्थ्य विश्व शांति में रहना चाहिए, अपना और दूसरों के स्वास्थ्य का भी ध्यान उन्हीं को रहेगा जो निरंतर कथा प्रवचन से जुड़े रहेंगे। महाराज श्री ने वैराग्य पर अपनी बात रखते हुए कहा कि समाज के प्रमुख पद पर अच्छे व्यक्तियों का चयन होना चाहिए। आजकल संस्था के झगड़ों का निवारण करने के लिए बैठके होटल में होती है,जब कि पूर्व में संतो की शरण में होती थी। आप सभी से निवेदन है कि डायवर्श शब्द अंग्रेजी में है और तलाक शब्द मुस्लिम धर्म में है जबकि हिंदू धर्म में ऐसा कोई शब्द नहीं है। बेटी की डोली पिता के घर से निकलती है और अर्थी ससुराल से, इस बात का अवश्य ध्यान रखें। अपने वे भाई जीवन में सामंजस्य अवश्य बनाया रखें। दूसरों को गिराने की चेष्टा न करें, जिसके पास भक्तिधन है वही धनवान है। ऐसे ही 1008 सतगुरु स्वामी शिवभजन जी महाराज ने अपनी वाणी और व्यवहार से कई बुरी आदतों में लगे हुए इंसानों को महा मानव बनाया है। अंत में महाआरती के साथ प्रथम दिन का कार्यक्रम समापन हुआ। इस मौके पर श्री झुलेलाल नवयुवक मंडल, श्री झुलेलाल समर्थ पैनल, शिवधारा परिवार खंडवा के पदाधिकारियों सदस्यों के साथ नगर के गणमान्यजन बड़ी संख्या में उपस्थित थें।