राम राघोबा राणे जिन्हें जीवित रहते हुए मिला परमवीर चक्र-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
पहले भारतीय फौजी जिन्हें जीवित रहते हुए परमवीर चक्र से नवाजा गया।क्योंकि उन्होंने 3 दिन बिना खाए-पीए पाकिस्तानी फौजियों को पीछे धकेला। पीछे आ रही टैंकों और भारतीय जवानों के लिए रास्ता तैयार किया ताकि नौशेरा के आगे का हिस्सा घुसपैठियों के कब्जे से छुड़ाया जा सके।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि 10जुलाई 1940 को 22 वर्षीय राम राघोबा राणे ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी ज्वाइन की। ये शुरुआत थी जोश से भरी एक नौकरी करने की। लेकिन देशभक्ति कहीं से कम नहीं थी।द्वितीय विश्व युद्ध में उनकी वीरता देखने को मिली, जब उन्होंने बर्मा की सीमा पर जापानियों को पस्त कर दिया. लेकिन 1948 में पाकिस्तानी की तरफ से हुए कबिलाई हमले में वो वीर से परमवीर हो गए।ऐसी बहादुरी, ऐसी देशभक्ति, बेहतरीन रण कौशल और हिम्मत कि दुश्मन 72 घंटे प्रयास करता रहा, लेकिन राणे को हिला नहीं पाया।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, बृजेश शुक्ला एडवोकेट, राकेश दक्ष एडवोकेट, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि
राणे अपनी टीम के साथ रास्ते से बारूदी सुरंगें हटाने लगे। दुश्मन ने इन पर गोलियों की बौछार और मोर्टार दागे जिसमें राणे के दो साथी शहीद और राणे सहित 5 जख्मी हो गए लेकिन वह रुके नहीं और जवाबी हमला करते हुए बारूदी सुरंगें शाम तक हटा दीं, जिससे टैंकों को आगे बढ़ने का रास्ता मिल गया।
3दिन भूखे-प्यासे रह कर दुश्मन के हमले के बावजूद दिखाई बहादुरी के लिए पहले जीवित भारतीय फौजी के रूप में इन्हें 21 जून, 1950 को परमवीर चक्र से नवाजा गया। 25 जनवरी, 1968 को वह मेजर के पद से रिटायर हुए और 11 जुलाई, 1994 को 76 वर्ष की आयु में इस बहादुर सैनिक का निधन हो गया।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ