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बंकिम चंद्र चटर्जी स्वतंत्रता संग्रामियों के लिए प्रेरणा स्रोत-शिवानी जैन एडवोकेट 

शिवानी जैन एडवोकेट की रिपोर्ट

बंकिम चंद्र चटर्जी स्वतंत्रता संग्रामियों के लिए प्रेरणा स्रोत-शिवानी जैन एडवोकेट

ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि

बंकिम चंद्र चटर्जी ने संस्कृत में वंदे मातरम गीत की रचना की जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों के लिये प्रेरणास्रोत का कार्य किया। वह पहले ऐसे बांग्ला साहित्यकार थे जिन्होंने बंगाली भाषा में साहित्य लिखा।

थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि बंकिम चंद्र चटर्जी या बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, बहुत ही लोकप्रिय लेखक रहे। उन्होंने अपनी कविताओं और उपन्यासों से देश को प्रेरित किया। वह भारत के महान उपन्यासकारों और कवियों में से एक थे। उनका जन्म 27 जून, 1938 को उत्तर 24 परगना, नैहाटी, वर्तमान पश्चिम बंगाल के कंठपुरा गाँव में हुआ था। भारतीय जनमानस में उन्हें राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के रचयिता के रूप में जाना जाता है।

मां सरस्वती शिक्षा समिति केप्रबंधक

डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, बृजेश शुक्ला एडवोकेट, राकेश दक्ष एडवोकेट, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, डॉ आरके शर्मा, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि

बंकिम चंद्र चटर्जी तब कोलकाता में डिप्टी मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत थे। उस समय कमिश्नर पद पर मिनरों नाम का एक अंग्रेज अफसर कार्यरत था, एक बार अचानक ईडन गार्डन में बंकिम चंद्र चटर्जी की मिनरो से मुलाकात हो गई, मगर उन्होंने मिनरो का अभिवादन नहीं किया और नजरअंदाज करके आगे बढ़ गए। उनके इस व्यवहार से बौखलाए मिनरो ने उनका तबादला दूसरी जगह करवा दिया।जब भी स्वतंत्रता संग्राम की बात होती है ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रगीत का जिक्र अपने आप ही हो जाता है।

राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ 1874 से लगातार आज भी करोड़ों युवा दिलों में धड़क रही है।

शिवानी जैन एडवोकेट

डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ

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