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दिव्येंदु गोस्वामी
पश्चिम बंग
पश्चिम बंगाल में अलग-अलग जगहों से बाघ-बाघिन निकल रहे हैं. एक दिन पहले ओडिशा के जंगल से एक बाघ झर गांव में आ गया. आसपास के गांवों में भी बाघ के पदचिन्ह बने हुए हैं। इस घटना के एक दिन बाद उत्तराखंड में भालू के हमले में पिता-पुत्र की मौत हो गई. सुखदेव नाम का एक शख्स अपने बेटे आरजू के साथ बहनों के बीच कट लगाने गया था, तभी एक भालू उन पर झपट पड़ा। भालू के पंजों से उनके शरीर छिन्न-भिन्न हो गए, लेकिन अंत में उन्हें बचाया नहीं जा सका। हालाँकि भालू के लोगों से खून बहने की भी सूचना मिली है। लेकिन सबसे आश्चर्य की बात यह है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में हाथियों, बाघों और भालुओं की आवाजाही बढ़ रही है और इसके परिणामस्वरूप आम लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। इस अचानक वृद्धि का कारण क्या है? उसको लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. तो क्या वन विभाग के पास उचित निगरानी का अभाव है? जिसके चलते ये सभी निहत्थे जानवर मोहल्ले में आकर लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।