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*कवि कला संगम परिवार व्दारा आयोजित हुई “किसके सहारे ये कुंवारे” विषय पर गोष्ठी*

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एडिटर/संपादक:-तनीश गुप्ता

*कवि कला संगम परिवार व्दारा आयोजित हुई “किसके सहारे ये कुंवारे” विषय पर गोष्ठी*

खंडवा। कवि कला संगम परिवार (ककस) के तत्वावधान में सामाजिक मुद्दों को लेकर परिचर्चा का आयोजन रामेश्वर रोड़ स्थित “उपमन्यु हाल” में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. जगदीशचंद्र चौरे ने की। मुख्य अतिथि के रूप में गोपालदास नायक, जयश्री तिवारी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में देवेन्द्र जैन, निर्मल मंगवानी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आगाज कविता विश्वकर्मा द्वारा माँ शारदा की वंदना के साथ हुआ। पश्चात अतिथियों का शाब्दिक अभिनन्दन दीपक चाकरे द्वारा किया गया। संस्था ककस के संस्थापक एवं व्यंग्यकार हास्य कवि सुनील चौरे उपमन्यु द्वारा मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग से सहायक प्राध्यापक में चयन होने पर गोपालदास नायक का अभिनन्दन कर प्रसन्नता व्यक्त की गई। वही श्री मंगवानी ने बताया कि ककस के द्वारा समय समय पर सामाजिक मुद्दों पर चर्चा, परिचर्चा कर सभी को जागरूक करने का कार्य किया जाता है, आज का विषय भी “किसके सहारे ये कुंवारे” ऐसा ही ज्वलंत विषय है, लड़के लड़कियों की उम्र बढ़ रही है किंतु विवाह सम्बन्ध नही हो रहे है। कारण एकल परिवार की चाह, उच्चतम पैकेज, बड़े शहरों में कार्य करने की ललक, विवाह को अवरुध्द कर रहे है। परिणाम स्वरूप आज युवा बड़ी संख्या में कुंवारे ही रह रहे।परिचर्चा में प्रतिभाग करते हुए अंकित गंगराड़े ने एवं दीपक चाकरे ने अपनी रचना में ही बताया कि कुंवारा रह जाना कितना दुखद होता है ? बात जमते जमते ही बिगड़ जाती है। प्रभु सद्बुध्दि दे लड़के -लड़की को की बात बिगड़ने ना दे। इस अवसर पर दोनों ने इसी विषय पर रचना सुनाई।कविता विश्वकर्मा एवं योगिता पंवार ने कहा कि आज कुंवारो की चिंता जायज है। अपना ऊंचा स्तर देख नीचे स्तर के लड़के को ना कह देना बहुत दुखद है। पहले के समय में तो माता पिता जो कर देते थे उचित था। अतः ये असमानता ही कुंवारों के लिए दुखद है। आज के परिवेश में आए रिश्तों को ठुकराना बड़ी विडम्बना हो रहा है। महेश मूलचंदानी एवं निर्मल मंगवानी ने भी विचार व्यक्त करते हुए प्रभू से निवेदन किया कि इन कुंवारों को पत्नी का सहारा दो। संयुक्त- परिवार में रहने की शक्ति दो। जयश्री तिवारी एवं देवेन्द्र जैन ने भी इस सामाजिक मुद्दे पर गहन चिंता जताई एवं इसमें माता पिता की भूमिका पर भी प्रश्न अंकित किए। माता पिता भी अपने बच्चों को समझाने के बजाय उनकी हां में हां मिला रिश्ता होने नही देते है। डॉ जगदीशचंद्र चौरे ने भी इस विषय को गम्भीरता से लेकर आज की युवा पीढ़ी से अनुरोध किया है कि समरसता, सामंजस्यता बना कर वैवाहिक जीवन स्वीकारे वरना रहो कुँवारे। अंत में गोपालदास नायक ने कहा कि सहायक प्राध्यापक के पद पर मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग से चयनित होने पर मेरा सम्मान कर मुझे अपने कर्तव्यो के प्रति दृढ़ता प्रदान की है मैं पूरी संस्था ककस को धन्यवाद देता हूं। कुंवारे किसके सहारे विषय पर चर्चा में कहा कि युवा स्वयं अपने जीवन के प्रति निर्णय लेते है। इसलिए समय लगता है। लेकिन ईश्वर करे सारे अवरोध दूर हो कर कुंवारों का जीवन वैवाहिक बंधन में बंध जाए। संचालन सुनील चौरे ने किया। आभार कविता विश्वकर्मा ने माना।

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