गया, 08 जून 2024,
हमे अपने व्यवहार में जेंडर के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। महिलाओं द्वारा घर में किये जाने वाले कार्य को भी उतना ही महत्व देना होगा जितना किसी पुरुष द्वारा बाहर किये जाने वाला कार्य को दिया जाता है। एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए हमें अपनी सोंच में बदलाव करना होगा। लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी। उक्त बातें जिला परियोजना प्रंबंधक जीविका श्री आचार्य मम्मट ने बोधगया में 7 जून से 8 जून 2024 तक चलने वाली ‘जेंडर इंटिग्रेशन’ पर दो दिवसीय कार्यशाला में कहीं।
कार्यशाला में महिलाओं एवं पुरुष के द्वारा किये जाने वाले कार्य के विषय में प्रदान द्वारा बताया गया कि एक सर्वे के अनुसार महिलायें सामान्यतः पांच घंटे अवैतनिक कार्य (अनपेड वर्क) करती हैं। लिंग भेद के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, संपति, सामाजिक अधिकार आदि में गैर बराबरी दिखाई देती है। जाती एवं वर्ग के कारण समाज व्यप्त मे असमानता और बढ़ती हुई दिखाई देती है। इसे दूर करने हेतु जेंडर सेंसिटिव होना जरूरी है। महिलाओं का सशक्तिकरण जरूरी है। यही पर सामुदायिक संगठनों की भूमिका अहम हो जाती है। जीविका ने महिलाओं के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभाई है। इसके कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते है। दीदी अधिकार केंद्रों के माध्यम से महिलाओं के हक एवं अधिकारों को संरसक्षित करने का कार्य किया जा रहा है।
कार्यशाला का आयोजन जीविका एवं प्रदान के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न जेंडर आधारित मुद्दों को उठाया गया। चर्चा की गई। जेंडर संवेदनशील व्यवहार की जरूरत महसूस की गई। इस कार्यक्रम में जीविका के जिला के विषयगत प्रबंधकों राकेश कुमार, स्वाति कश्यप, कुंदन लाल साह, दिनेश कुमार, विनय कुमार, गौतम कुमार, कौटिल्य कुमार, युवा पेशेवरों एवं अन्य प्रबंधकों सहित बोधगया, आमस, शेरघाटी, गुरुआ, डोभी एवं खिजरसराय की जीविका टीम ने भाग लिया। प्रदान के ट्रेनर सुबोध कुमार वर्मा पीपीटी प्रस्तुति दी गई। दीपक कुमार एवं निधि मौजूद भी कार्यशाला में भाग लिया।
त्रिलोकी नाथ डिस्ट्रिक्ट डिवीजन हेड गया
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