
सिवान: 13 मई 2016 दिन शुक्रवार अमूमन लोग अपने दिनचर्या के कार्य में वयस्त थे। सीवान शहर प्रत्येक दिन के तरह चहल पहल थी। अंधेरे हो रहा था लोग दैनिक कार्य निपटा कर घर जा रहे थे तभी अचानक सीवान स्टेशन रोड स्थित फलमंडी के समीप गोलियों की आवाज से सीवान थरा उठा। लोग में खौफ हो गया आखिर हुआ तभी सड़क पर एक पत्रकार गोलियां के शिकार से लहुलुहान होकर जिंदगी और मौत के चंद फासले के बीच झटपटा रहा था, और मौत नजदीक आ रही थी। और एक कलम का सिपाही दुनिया छोड़ चूका था, और चारों तरफ गम खौफ गुस्सा था परिवार के साथ सहकर्मी और जाने पहचानने वाले खौफजदा थे आखिर हो भी क्यों ना? वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के 7 साल बाद भी इस सवाल का उत्तर किसी के पास नहीं कि आखिर उसकी हत्या क्यों की गई ?देश की सबसे बड़ी जान एजेंसी सीबीआई भी इस सवाल की जवाब नहीं ढूंढ पाई, सिवान नगर स्थित स्टेशन रोड की वह चहल-पहल भरी 13 में 2016 की शाम थी । जब फल मंडी का निकट गोली मार कर वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की नृशंस हत्या कर दी गई। पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए शूटर को गिरफ्तार कर लिया रंजन हत्याकांड के मुख्य आरोपी लडन मियां का राजद के कद्दावर नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन से करीबी बताया जाता था। पुलिस के मुताबिक पांच अभियुक्त की पहचान रोहित कुमार, विजय कुमार ,राजेश कुमार, रिशु कुमार, और सोनू कुमार के रूप में हुई उनके पास से हत्या में इस्तेमाल देसी पिस्तौल और मोटरसाइकिल भी बरामद कर लिया गया। उसे समय सिवान में पंचायत चुनाव हो रहे थे ,तत्कालीन जिला अधिकारी महेंद्र कुमार और पुलिस अधीक्षक सौरव कुमार साह ने आनन फानन में सदर अस्पताल पहुंचकर हत्याकांड की प्राथमिक की जानकारी ली। हत्या की रात में ही पुलिस ने ताबड़तोड़ तो छपमारी करके जीरादेई में भैंसखाल स्थिति चिमनी से पर भू-माफिया उपेंद्र सिंह और उसके एक सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया गौरतलब है, कि यही उपेंद्र सिंह जी था, जिसने भाजपा सांसद के प्रवक्ता श्रीकांत भारतीय की हत्या करने वाले सुपारी किलर चव्वनी सिंह को अपने घर एवं चिमनी पर शरण दिया था पत्रकार राजदेव रंजन का अंतिम संस्कार 14 मई को दाहा नदी के किनारे किया गया देश भर के पत्रकार इस मौके पर जूटे सिवान नगर में शाम के समय कैंडल मार्च निकाला गया सरकार विरोधी नारा लगा। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का दौरा हुआ वह पत्रकार भवन में सभी पत्रकार की व्याख्या को गौर से सुना सरकार पर काफी दवा दबाव बढ़ गया सरकार ने उक्त मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन रोते हुए बताती है कि मुझे एक ईमानदार पत्रकार की पत्नी होने का सजा मिली जिस दिन उनके पति की निर्मम हत्या हो गई थी उसकी उसके ठीक 1 दिन बाद हमारी शादी की सालगिरह थी आप ही सोचिए उसे वक्त एक बीवी पर क्या बीतेगी उसके क्या-क्या सपने होंगे, कितनी उम्मीद रही होगी, जिन्हें अपराधियों ने हमेशा के लिए छीन लिया पत्रकार राजदेव रंजन पर हुआ यह पहले हमला नहीं था, वर्ष 1998 में पहली बार राजदेव रंजन पर हमला हुआ था उसे समय रहते हुए अपने सहयोगी प्रोफेसर रविंद्र प्रसाद के घर बैठकर समाचार लिख रहे थे उसे पर जब उनका गोली चली हालांकि गोली रहते हो रविंद्र प्रसाद के हाथ में रख उसके बाद साल 2004 में उन पर भी हमला और उनके कार्यालय में घुस कला लाठी डंडे से पूरी पिटाई की गई और साथ में जान से मारने की धमकी दी गई। जैसे सर्वावदित थे कि सीबीआई बिहार के किसी भी मामले में बहुत कारगर साबित नहीं हो वही हुआ आज 8 साल 20 जाने के बाद भी सीबीआई के मुख्य आरोपी तक नहीं पहुंच पाई है। हत्या किन कारणों से की गई सीबीआई आज तक भी नहीं पहुंच पाई है हत्या कि आरोपियों की सजा दिलवाने तो दूर की बात है