संबाददाता विजय मजूमदार पखांजूर
कांकेर जिले के अंतिम छोड़ के गांव में नहीं पहुँचती शासन का कोई योजना —-
कांकेर जिला के कोइलिबेडा विकासखंड के ग्राम पंचायत ढोड़कट्टा से राजनांदगाव सीमा महेज 4 किमी है और यह ग्राम कोइलिबेडा और जिले के अंतिम छोड़ पे बसा है पूरा गांव बड़ी पहाड़ और ढोड़कट्टा डेम बांध से तीनो और से घिरा है, पहाड़ी दूसरी सिरे पे पडोसी राज्य महाराष्ट्र का सीमा आरम्भ हो गया है इस लिहाज से यह गांव छत्तीसगढ़ के अंतिम सीमावर्ती गांव भी है जिस गांव में तलबी और पहाड़ी पगदंडी को छोड़ एक ही सडक है जो की गोण्डाहुर और मानपुर के मुख्य मार्ग से सम्पर्क बनता है
ज्ञात हो की पिछले 4 बर्षो से पुलिया घटिया निर्माण के चलते पूरी तरह छतीग्रस्त होकर टूट के लटका हुआ है जिससे बर्षा काल में ग्रामीण कृषक को खेती संबधित बीज और खाद तथा उत्पादन फसलों को मुख्य मार्ग से शहरों में लाने ले जाने में बहुत ही मशकत करनी पडती है, क्युकी पुलिया इतना ज्यादा छतिग्रस्त है जिससे भारी बाहन ट्रैक्टर आदि पार करना जान जोखिम में डालना है, फिर भी ग्रामीण किसान मज़बूरी मे अपनी माल और जान जोखिम उठाकर अपनी दैनिक जीबीका सम्बंधित सामान बड़े और छोटे शहरों से लाया करते है, बिधानसभा चुनाव से पूर्व किसानो के लाख प्रयास के बाद जिला खनिज न्यास निधि से 4 मीटर स्पन पुलिया की स्वीकृति हुई थी जो चुनाव नतीजा घोषित होने के बाद निरस्त हो गया है और गांव वाले की अति महत्वपूर्ण जरूरती मांग फिर से ठन्डे वस्ते में चला गया है अव क्या नई सरकार इस अंतिम छोड़ के काम आवादी वोट वाली ग्राम की इस मांग को पूरा करेंगे या फिर बजट का हवाला ही अंतिम दिलासा होगा आने वाला वक़्त बया करेगा,,
ढोड़कट्टा ग्राम का स्कुल है पूरी तरह ज़र्ज़ार दीवाल के आर पार दिखाई देता है दारर्रे –==
ढोड़कट्टा ग्राम के किस्मत में ज़ज़्ज़ारता कूट कूट के भरी हुई है जहाँ ग्राम के प्रोवेस में ही टूटी पुलिया आपकी स्वागत अपनी अपंगता के साथ करते है वही कुछ ही मीटर चलने से ग्राम का एकमात्र प्राथमिक स्कुल अपनी बेबसी लिए आपको सडक किनारे मिल जायेंगे जिसमे आपको बच्चे आपको कभी किसी आर पार दिखने वाले कमरे में पढ़ाई करते नज़र आ सकते है कभी किसी पेड़ के निचे क्लास लगे मिल जायेंगे या फिर बरसात के मौसम में स्कुल में किसी ट्रिपल के नीचे क्लास लगा मिल सकता है, ढोड़कट्टा के ग्रामीण द्यायरा अनेको बार जनपद कार्यलय पखांजूर में स्कुल बनाने का आग्रह किया गया, पंचयात द्यारा अनेको बार ग्रामसभी प्रस्ताव पारित कर शिक्षा बिभाग और जनपद कार्यलय को दिया गया, जनपद द्यारा इंजीनियर से तकनिकी प्रतिवेदन बनवाकर कांकेर जिला कार्यलय भेजा गया परन्तु आज तक इस भवन को निर्माण सम्बंधित कोई भी स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है शायद शासन को किसी बड़ी दुर्घटना का इंतज़ार है जैसे टूटी छत किसी बच्चे के ऊपर गिरना या बरसात में दीवाल गिरकर कोई अप्रिय घटना हो जाना
आज देश विकसित की ओर आग्रसर है जहाँ देखो वही विकास की वात हो रही है पदन्तु क्या सही में विकास हो रहा है वास्तविकता के धरातल मे विकास कहा है इस बात को ढिंदुरा पीटने वाले सभी को एक बार जर्रूर जमीनी हकीकत पता होना चाहिए यह खबर आपको सिर्फ आइना दिखाकर वास्तविकता से रूबरू करना है