बरगा/बेमेतरा: समीपस्थ ग्राम श्यामपुर कांपा में वार्षिक श्राद्ध कार्यक्रम के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में पंडित संजय तिवारी ने श्रद्धालुओं को गजेंद्र मोक्ष और समुद्र मंथन की गूढ़ व्याख्या प्रस्तुत की। कथा सुनने के लिए आसपास के ग्रामीण अंचलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
पंडित तिवारी ने गजेंद्र मोक्ष कथा का वर्णन करते हुए बताया कि गजेंद्र, जो पिछले जन्म में भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था, जो एक जन्म में हाथी के रूप में ग्राह के चंगुल में फंस गया। अपने भक्त के रुदन और भक्ति भाव से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से ग्रह का अंत कर गजेंद्र को मुक्ति प्रदान की। उन्होंने इसे भक्ति की शक्ति और भगवान की कृपा का अनुपम उदाहरण बताया। आगे उन्होंने समुद्र मंथन का वर्णन करते हुए बताया कि देवताओं और असुरों के संयुक्त प्रयास से सागर मंथन में कई अद्भुत रत्न प्रकट हुए। इनमें अमृत, जिसके पान से अमरत्व की प्राप्ति होती है, भी शामिल था। मंथन के दौरान सबसे पहले हलाहल विष प्रकट हुआ, जिसे देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने ग्रहण किया और अपने कंठ में रोक लिया इस कारण उनका नाम नीलकंठ पड़ा। पंडित जी ने इस कथा के माध्यम से सृष्टि के कल्याण और त्याग की महत्ता को समझाया।इस अवसर पर मुख्य रूप से वैष्णव परिवार से शिवकुमार वैष्णव, रामकुमार वैष्णव, प्रकाश आशुतोष वैष्णव, श्रीमती अरुणा देवी वैष्णव, श्रीमती किरण भास्कर वैष्णव, सतीश कुमार, श्रीमती मनोरमा वैष्णव, विकास कुमार और श्रीमती सोनम वैष्णव मौजूद रहे।