
*स्वयम के पुरुषार्थ से ही मोक्ष मार्ग मिलता है–विश्रुतसागर जी*
खण्डवा//जैसे धूप के साथ छांव,पुष्प के साथ कांटा,सूरज के साथ चन्द्रमा का सम्बंध है वैसे ही विषय कषायों के साथ वीतरागता का सम्बन्ध है।मोह,राग,द्वेष आदि विकारी भाव नहीं होते तो वीतरागता की आवश्यकता नहीं होती।वीतराग का अर्थ ही है कि जिसका राग बीत गया हो।एक बार जिसने सम्यक रूप से वीतराग मार्ग को अपना लिया उसे मोक्ष मार्ग से कोई भी डिगा नहीं सकता।इस दुखद पंचम काल मे सुगमता,सुलभता और सरलता से दिगम्बर संतो के दर्शन और समागम मिलना पुण्य का अवसर है।प्राचीन काल मे तो मीलों दूर,सघन वन्य क्षेत्रों में संत महात्मा रहते थे।
सराफा स्थित जैन धर्मशाला में विराजमान उपाध्याय श्री विश्रुतसागर जी ने धर्मसभा को संवोधित करते हुए कहा कि आत्म शुद्धि एवम चिंतन करने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम स्वाध्याय है ।मात्र प्रवचन सुनने,शास्त्र श्रवण करने और सन्त समागम से मोक्ष नहीं मिलता।मोक्ष के लिये स्वयम को पुरुषार्थ करना होता है।जिस प्रकार फूल में सुगन्ध,दूध में घी का समावेश शाश्वत है उसी प्रकार प्रत्येक जीव का आत्मा भी अपने स्वयम में ज्ञान,दर्शन और चेतना के गुण से युक्त है।समाज के सचिव सुनील जैन ने बताया कि मुनि श्री ससंघ के मंगल प्रवचन,स्वाध्याय,आहार चर्या आदि कार्यक्रम जैन धर्मशाला सराफा में हो रहै है।प्रतिदिन प्रातः मांगलिक प्रवचन,दोपहर में स्वाध्याय एवम शाम को गुरु भक्ति, एवम शंका समाधान,वैयावृत्ती कार्यक्रम हो रहे है। मुनि सेवा समिति के प्रचार मंत्री सुनील जैन,प्रेमांशु चौधरी ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष विजय सेठी,संरक्षक कैलाश पहाड़िया, अविनाश जैन पोरवाड़ ट्रस्ट के वीरेंद्र जैन,राजेन्द्र छाबड़ा, भानुकुमार सेठी,प्रकाशचन्द जैन ने मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन किया।कार्यक्रम में सुभाष सेठी ,मनीष सेठी,पंकज छाबड़ा,पंकज सेठी,डॉ पंकज जैन,चिंतामन जैन, सुनील जैन, प्रेमांशु चौधरी,संतोष बोस आदि समाजजन उपस्थित थे। मुनि संघ की आहारचर्या का सौभाग्य सुषमा प्रमोद जैन एवम मोहिनी जैन( भिंड वाले) परिवार को मिला।कार्यक्रम के अंत मे रेखा महेश जैन द्वारा आचार्य विरागसागर जी एवम जिनवाणी माता के अर्घ्य का वाचन किया।