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अमर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की पुण्यतिथि पर किया स्मरण

सुभद्राजी की कविताएँ वात्सल्य और वीरता की अद्भुत मिसाल

अमर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की पुण्यतिथि पर किया स्मरण
सुभद्राजी की कविताएँ वात्सल्य और वीरता की अद्भुत मिसाल
सिवनी से गहरा नाता रखने वाली महान कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की 77 वीं पुण्यतिथि पर पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के हिंदी विभाग के शोध केन्द्र में आयोजित कार्यक्रम में प्रोफेसर्स और छात्र छात्राओं ने उत्साह से हिस्सा लिया और स्वाधीनता आंदोलन और साहित्य में उनके अवदान का स्मरण किया।
कार्यक्रम की शुरुआत मध्यप्रदेश गान के सामूहिक गायन से हुई. सुभद्रा कुमारी चौहान के चित्र पर प्रोसेसर्स और छात्र छात्राओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कॉलेज प्राचार्य डॉ रविशंकर नाग ने कहा कि सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ हमारी विरासत हैं।  बताया कि झॉंसी की रानी के अलावा वीरों का कैसा हो वसंत’  कविता सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे लोकप्रिय रचना है। कहा कि साहित्यकार योद्धा भी होता है. कहा कि युवा पीढ़ी को सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्य पढऩा चाहिए।
कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने कहा कि सिवनी से सुभद्रा कुमारी चौहान का गहरा नाता था। स्वाधीनता संघर्ष के दौरान सिवनी में उन्होंने आज़ादी के आंदोलन को आगे बढ़ाया था। बताया कि 28 नवंबर 1933 को सिवनी में महात्मा गॉंधी जी के आगमन पर सुभद्रा कुमारी चौहान ने स्वरचित स्वागत गीत गाया था. बताया कि दुखद संयोग है कि उन्होंने अपनी अंतिम साँस सिवनी के गाँव कलबोड़ी में ली। बताया कि सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ वात्सल्य और वीरता की अद्भुत मिसाल हैं. कहा कि उनकी 46 कहानियों पर नए परिप्रेक्ष्य में शोध कार्य की ज़रूरत है.

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