महुली सोनभद्र रिपोर्ट (नितेश कुमार)सोनभद्र। साढ़े सात वर्ष पूर्व 13 वर्षीय नाबालिग बालक के साथ हुए अप्राकृतिक दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी मनोज को 7 वर्ष की कैद एवं 22 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 15 हजार रूपये पीड़ित को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक ओबरा थाना क्षेत्र के एक कालोनी निवासी पीड़ित की मां ने 5 अगस्त 2017 को ओबरा थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि 4 अगस्त 2017 को 12:15 बजे दोपहर में जब बाहर से काम करके घर आयी तो रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के मानपुर गांव निवासी मनोज पुत्र खरपत्तू हालपता ओबरा कालोनी उसके घर मे घुसकर उसके 13 वर्षीय नाबालिग बेटे के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म कर रहा था। जब उसने शोरगुल किया तो उसे गाली देते हुए उसे मारने पीटने लगा। शोरगुल की आवाज सुनकर कई लोग आ गए तो वह भाग गया। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में अप्राकृतिक दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, 7 गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी मनोज को 7 वर्ष का कारावास एवं 22 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 15 हजार रूपये पीडित को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।