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कार्रवाई नहीं:खनिज विभाग के अधिकारी जानते हैं कि रेत का हो रहा अवैध उत्खनन व परिवहन

रेत की कीमत कम करने नहीं किया जा रहा कोई उपाय

 

खनिज विभाग के अधिकारी यह अच्छी तरह जानते हैं कि शहर और जिले के कई इलाकों में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। इसके बावजूद भी वे कार्रवाई करने से बच रहे हैं। दिखावे के लिए कुछ कार्रवाई कर भी देते हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से तो कार्यवाही बिल्कुल ही बंद है। वही रेत की कीमत को नियंत्रित करने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। नदी में पानी आने की वजह से अधिकांश रेत खदान अभी बंद है। लेकिन बरतराई और बरबशपुर अहरन नदी से अभी भी ट्रैक्टरों के द्वारा अवैध उत्खनन किया जा रहा है। इसके अलावा कटघोरा इलाके के कुछ नदियों से रेत के अवैध उत्खनन की शिकायतें मिलती रहती हैं। हालांकि वहां हाइवा की बजाय बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों के माध्यम से अवैध परिवहन किया जाता है। रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन को लेकर खनिज विभाग के पास कई शिकायतें हैं। अधिकारी खुद भी अवैध परिवहन की कई मामले पकड़ चुके हैं।

 

 

पत्रकारों के द्वारा खनिज अधिकारी को सूचना देने के उपरान्त कार्यवाही के नाम पर ट्रैक्टर मालिकों एवं रेत माफिया समय पर सक्रिय थे। वे खनिज चोरी करते रहे। खनिज विभाग 9 गाड़ियों से 15000,15000 हजार रुपए जुर्माना भी किया था। लेकिन ये कार्यवाही सिर्फ और सिर्फ दिखावे का था। रेत माफियाओं की ट्रैक्टरों पर जब कार्यवाही हुई तब रेत माफियाओं ने खनिज के दलाल को आपबीती बताई तब जाकर खनिज के दलाल ने खनिज अधिकारी से बात कर उन सभी ट्रैक्टर मालिकों से 5000,5000 हजार रूपए प्रति ट्रैक्टर से दिलवाया था। और उसी उपकार के बदले ग्रामीणों को बोलकर ग्रामीणों के ट्रैक्टरों से बालू लोड कर आस पास के रास्ते से अन्दर एकात्रित कर दिन में जे सी बी, से सीधे हाइवा में लोड कर शहरों में खपा रहे हैं। जिससे नदी और खनिज विभाग को काफी छती पहुंच रहा है। और खनिज विभाग को छती पहुंचाने वाले के ऊपर कोई कार्यवाही देखने को नहीं मिल रहा है। इससे साफ झलक रहा है कि रेत माफियाओं को खनिज अधिकारियों का मील रहा है संरक्षण। पर ये कार्रवाई बीते दिनों की बात हो गई। अब पहले जैसी कार्रवाई करने से अधिकारी बच रहे हैं। पुटवा, नागोई, अमलडीहा, झोरा, सिरकी, बांगो के साथ ही आहरन नदी के किनारे बसे कई गांवों में अवैध भंडारण कर मनमानी कीमत पर रेत की बिक्री माफिया कर रहे हैं। 1700-1800 रुपए ट्रैक्टर में रेत बिक रही है लेकिन खनिज अधिकारियों को जैसे इन सबसे मतलब ही नहीं है। यही कारण है कि कार्रवाई ही नहीं की जा रही है। खनिज विभाग के उप संचालक खिलावन कुलार्य का कहना है कि बीच-बीच में कार्रवाई की जा रही है। मिलीभगत जैसी कोई बात नहीं है। हम लगातार पतासाजी कर कार्रवाई कर रहे हैं।

 

 

5 लाख जुर्माना व 5 साल की सजा का भी भय नहीं

 

राज्य सरकार ने गौण खनिज नियमों में व्यापक संशोधन किया है। इसके तहत अब अवैध परिवहन किए जाने पर ज्यादा जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है। अब गौण खनिजों का बिना लाइसेंस भंडारण करना भी अपराध है। ऐसे मामलों में कारावास और जुर्माना दोनों की कार्रवाई की जा सकती है। गौण खनिजों के अवैध परिवहन एवं उत्खनन पर कड़ी से कड़ी से कार्यवाही करने गौण खनिज नियम 71 में व्यापक संशोधन किया गया है। किसी भी व्यक्ति के द्वारा इस अधिनियम के अधीन ही खनिज का परिवहन या भण्डारण करना अथवा करवाना है और यदि इन उपबंधों का उल्लंघन किया जाता है तो न्यायालय द्वारा 5 वर्ष का कारावास या पांच लाख रुपए जुर्माना अथवा दोनों किए जाने का प्रावधान है। अब तक यह केवल मुख्य खनिजों जैसे कोयला, लौह अयस्क, बाक्साइट आदि पर ही लागू था, अब इसे गौण खनिज यानी रेत आदि के मामलों में भी लागू कर दिया गया है। रेत माफियाओं को न तो 5 लाख रुपए के जुर्माना की चिंता है और न 5 साल के कारावास की।

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