सावधानी ही बचाव-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
सावधान! कहीं आप भी ना हो जाए डिजिटल अरेस्ट। एक कॉल आपके होश उड़ा सकती है। आपको कुछ डिटेल्स बता कर उस अपराध का बोध कराया जाता है जो आपने किया ही नहीं। विदेश में बैठे कॉलर भारत की जांच एजेंसी का अधिकारी बात कर जैसा जैसा करने को कहा जाता है आप वैसा ही करने लगते हैं। आप इस तरह से अपने ही घर में कई घंटे या कई दिनों तक कैद हो सकते हैं।
थिंक मानवाधिकार संगठन की एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि विदेशों में बैठे शकीरा साइबर अपराधी इसी तरीके के फर्जी दफ्तर बनाते हैं। इन लोगों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है कि यह सरकारी जांच एजेंसियों के अधिकारी लगते हैं। एक लिंक भेज कर उसे पर क्लिक करने को कहा जाता है।
इसलिए इस तरह की लिंक को ना खोलें। संदेह होने पर प्रशासन की मदद लें।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि साइबर ठगी करने वाले या डिजिटल अरेस्ट करने वाले वीपीएन नंबर(वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) से कॉल करते हैं।
अधिकतर ऐसी लोगों को निशाना बनाया जाता है जिन के बच्चे या परिवार विदेश में रहते हैं। जब आपको विश्वास होने लगता है तो वह पुलिस या जांच एजेंसी की ऑफिस जैसी फील करते हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामले साइबर क्राइम रोकने वाली एजेंसी के लिए नई चुनौती बनते जा रहे हैं।
स्वयं भी सावधान रहे। और दूसरों को भी सावधान रहने के लिए जागरूक करें। हेल्पलाइन नंबर 1930 पर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ