
कूट के नाम से प्रसिद्ध भारत का एक मात्र तीर्थ सिद्धवरकूट, ,,आचार्य विशुद्ध सागर महाराज,,
सिद्ध क्षेत्र में पांच मुनियों ने अपने हाथों से किया कैंशलोंच,
आचार्य एवं मुनियों के सानिध्य में चल रहा है पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव,
खंडवा ।। भारत का कण-कण पवित्र है, भारत भूमि ढाई द्वीप में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ से मुनि मोक्ष न पधारे हों। आज विदेशों में जैन ग्रंथों की खोज से कई शोध किए जा रहे हैं। जीवत्व की दृष्टि से हम सब स्वजातीय हैं। पुद्गल, अजीव विजातिय हैं। द्रव्य-गुण-पर्याय के बाहर जगत में कुछ भी नहीं है। विश्व की रचना परमाणु से, परमाणु का वर्णन वस्तुत्व की दृष्टि से जैन ग्रंथों में हैं। सिद्धवरकूट सिद्ध क्षेत्र का कण-कण पवित्र है। यहाँ दो चक्री दस कामकुमार मुनिराज सहित साढ़े तीन करोड़ मुनिराजों ने मोक्ष प्राप्त किया है। कूट के नाम से प्रसिद्ध भारत का एकमात्र तीर्थ सिद्धवरकूट है। उक्त उद्बोधन चर्या शिरोमणि ,अध्यात्मयोगी, शताब्दी देशनाकार, आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के द्वितीय दिवस बद्ध चेतन, अबद्ध चेतन, सदभूत-असदभूत व्यवहारनय को समझाते हुए व्यक्त किए। आचार्य श्री ने कहा कि आज सिद्धवरकूट तीर्थ के निर्जन स्थानों का भ्रमण किया, तो अहसास हुआ कि सिद्धवरकूट शांत शीतल स्थान है, यहाँ बाहर में भले ही तपन हो लेकिन आत्मिक शीतलता का स्थान सिद्धवरकूट है, जहाँ अन्तर आत्मा के दर्शन हो सकते हैं। समाज के सचिव एवं सिद्ध क्षेत्र के सदस्य कार्यक्रम क प्रचारक गणधर मुनि श्री विवर्धन सागर जी महाराज ससंघ, गणिनी आर्यिका विशिष्टश्री माताजी ससंघ उपस्थित रहे।मुनि श्री सौम्य सागरजी महाराज ,आर्यिका विविक्त श्री माता जी ने भी संबोधित किया।
,श्रद्धावान को पाषाण में भी भगवान दिखते हैं,
आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि शिल्पकार को पाषाण में मूर्ति दिखती है, वहीं श्रद्धावान को पाषाण में परमात्मा दिखते हैं। हमें कभी व्यक्ति के राग-द्वेष में नहीं पड़ना चाहिये। व्यवस्था मत बनाईये, व्यवस्थित रहना शुरू कीजिए, व्यवस्था अपने आप बन जाएगी। गाड़ी पर बैठने के लिए कभी गाड़ी पर मत बैठिये।मंजिल पर पहुंचने के लिए गाड़ी में बैठिए ।युवाओं को मार्गदर्शन देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि चेहरा देखकर कभी विवाह मत करना, गुण, धर्म को देखकर विवाह करिये।ध्यान रहे संतान नहीं होगी तो संत नहीं होंगे, सन्त नहीं होंगे तो अरिहंत नहीं होंगे, अरिहंत नहीं होंगे तो सिद्ध भगवान भी नहीं होंगे। श्रेष्ठ कार्य का कोई पंथ नहीं होता, श्रेष्ठ कार्य हर किसी का होता है। अपने गुरू गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज की शिक्षाओं को याद करते हुए कहा कि उन्होंने मुझे जितना सिखाया है उसे में शब्दों में बता सकूं मुझमें यह सामर्थ्य नहीं है। ध्यान रहे सज्जन असमर्थ हमेशा प्रशंसा करता है, दुर्जन असमर्थ हमेशा निंदा करता है।
,सुव्रत सागर जी सहित पाँच मुनिराजों ने किए कैंशलोंच,
सिद्ध क्षेत्र के प्रचारक राजेंद्र जैन सुनील जैन खंडवा ने बताया कि
आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के परमशिष्य मुनि श्री सुव्रत सागर जी, निसंग सागर जी, निग्रंथ सागर जी, निर्मोही सागर जी महाराज ने अपने उत्कृष्ट केशलोंच किए। पाँचों मुनियों ने आज प्रातःकाल अपने हाथों से अपने मुख व सिर के बालों को हाथों से घास की भाँति उखाड़ना प्रारम्भ कर दिया। मुनि श्री सुव्रत सागर जी ने बताया कि सिद्ध भूमि पर अपने केशलोंच करना हमारा सौभाग्य है। पाँचों मुनिराजों ने उपवास भी किए।
*सिरिभूवलय की प्रतियाँ भेंट की*अद्भुत
सुनील जैन ने बताया कि ग्रंथ सिरिभूवलय पर कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी ज्ञानपीठ अध्यक्ष अमित कासलीवाल, प्रबंधक अरविंद जैन आदि ने आचार्य श्री आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी को संस्थान व सिरिभूवलय योजना की जानकारी देते हुए उन्हें पुस्तक भेंट की व कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इंदौर पधारने का आग्रह किया।
*आदिकुमार मुनिको दीक्षा प्रदान की*
प्रातःकाल पंचकल्याणक अवसर पर आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज द्वारा दीक्षा कल्याणक किया गया। आचार्य श्री ने आदि कुमार को दीक्षा प्रदान की। पं. राकेश जैन भिण्ड ने 7 प्रतिमा के व्रत अंगीकार कर आजीवन ब्रह्मचर्य का नियम लिया। पाद प्रक्षालन पवन-प्रवीण जैन दिल्ली ने किया। इस अवसर पर क्षेत्र कमेटी अध्यक्ष अमित कासलीवाल, महामंत्री विजय काला, कैलाश जैन, आशीष चौधरी, राजेन्द्र जैन महावीर, हंसमुख गांधी, अरूण पहाड़िया, सुनील जैन, प्रेमांशु चौधरी,संतोष जैन घडी, मनोज बंगेला सागर,देवेंद्र सोगानी,भजन गायक चिंतन बाकीवाला, अंकिंत जमादार,राकेश मामाजी, मनोज बाकलीवाल, दिल्ली,उत्तर प्रदेश ,गुजरात,महाराष्ट्र निमाड़ मालवा आदि के श्रद्धालु उपस्थित थे। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का विधि विधान प्रतिष्ठाचार्य पंडित शरद बनारसी छिंदवाड़ा व अक्षय भैया ने सम्पन्न कराये।