त्रिलोक न्यूज़ सवांददाता विकास कुमार सोनी
स्वर्ण प्राशन संस्कार है आपके बच्चों के स्वास्थ्य का सच्चा साथी – डॉ दीपक सोनी
अम्बिकापुर शहर के आयुर्वेद एवं पंचकर्म चिकित्सालय आयुर दीप हेल्थ केयर में विगत 3 वर्षों से प्रतिमाह पुष्य नक्षत्र के दिन कराया जा रहा है स्वर्ण प्राशन संस्कार।
बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी आहार एवं उचित नींद का बहुत अहम योगदान होता है, आहार में किसी भी तरह की कमी होने पर बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, जिसके कारण बच्चों को कई तरह की परेशानी हो सकती है। पुराण काल से ही आयुर्वेद में बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सुवर्णप्राशन को मत्वपूर्ण माना गया है, इसे स्वर्ण प्राशन या स्वर्ण बिंदु प्राशन भी कहा जाता है। डॉ दीपक सोनी जोकि आयुर्वेद पंचकर्म एवं जीवन शैली विशेषज्ञ है बताते है, कि इस प्रक्रिया को अपनाने से न सिर्फ इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है, बल्कि इससे बच्चों के शारीरिक व बौद्धिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है. शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है, जिसकी वजह से बच्चे बार-बार बीमार होने लगते हैं, आयुर्वेद में इस तरह की स्थिति से बचने के लिए माता-पिता को बच्चों को स्वर्णप्राशन की सलाह दी जाती हैं।
स्वर्ण प्राशन संस्कार क्या है?
गर्भाधान से अन्त्येष्ठी तक के जीवन काल में 16 संस्कार बताये गए है उनमे से एक अहम है, सुवर्ण प्राशन संस्कार।
स्वर्ण प्राशन कैसे बनाया जाता है, और किन औषधियों का प्रयोग किया जाता है ?
स्वर्ण प्राशन प्रक्रिया में बच्चों को घी, शहद और स्वर्ण भस्म के साथ अन्य मेद्य औषधियों के मिश्रण को विविध मंत्रों के साथ एक नियत समय तक मर्दन करके एक अद्भुत दवा तैयार किया जाता है।
स्वर्ण प्राशन कराने से क्या लाभ होते है?
स्वर्ण प्राशन के लाभ के बारे में डॉ दीपक बताते है कि –
“सुवर्ण प्राशनम् ह्येतन्मेधा अग्नि बल वर्धनम्।
आयुष्यम् मंगलम् पुण्यं वृष्यं वृष्यम् ग्रहापहम्।।“
बलवर्धक- मतलब ताक़त को बढ़ाता है रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाता है, जिससे खाँसी बुख़ार सर्दी जैसे बार-बार होने वाली बीमारीयाँ दूर हो जाती है।
आयुषवर्धन – मतलब स्वास्थ्य जीवन को बेहतर बनाने में मदत करता है।
मेधा वर्धन – मतलब बुद्धि में सुधार करता है मेमोरी में भी सुधार करता है और वक्रत्व कौशल बढ़ाता है।
अग्नि वर्धन – मतलब भूख एवं पाचन में सुधार करता है।
वृष्य वर्धन – मतलब आपके बच्चों में ऊर्जा एवं जोश को बढ़ाता है।
वर्ण्य वर्धन – मतलब color इन्हांसमेंट करता है।
ग्रह नाशक- मतलब ग्रह बाधा को भी नष्ट करने में मदद करता है।
किन बच्चों को करा सकते है स्वर्ण प्राशन?
डॉ दीपक बताते है की जन्म से ले कर 16 वर्ष तक के बच्चों को स्वर्णप्राशन संस्कार कराना ही चाहिये। क्योंकि स्वर्ण प्राशन एक प्रकार की आयुर्वेदिक इम्युनाइजेशन (वैक्सीन) है, जो कि स्वस्थ बच्चों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रति माह सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही दिया जाता है, एवं बीमार बच्चों को उनकी बीमारी के अनुसार प्रतिदिन या डॉक्टर के परामर्शनुसार दिया जाता है।
कब आता है यह पुष्य नक्षत्र ?
पुष्य नक्षत्र, 27 नक्षत्रों में से आठवां नक्षत्र है. लगभग 28 वें दिन आता है इस तरह एक वर्ष में 13-14 पुष्य नक्षत्र आ सकते है।
वर्ष 2025 में आप भी अपने बच्चों को स्वर्ण प्राशन करा के दे उनकी
और अधिक जानकारी के लिए अपने नज़दीकी आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करें या हमारे संस्थान में संपर्क कर सकते हैं ।