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रायगढ़ – ग्राम पंचायत रक्सापाली में परत दर परत उधड़ने लगी भ्रष्टाचार की परतें , कार्यवाही की मांग को लेकर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन।

जांच में लाखों की अनियमितताओं का खुलासा , रसूखदारों के आगे जांच की आंच ना हो जाए ठंडी। पढ़े पूरी खबर...👇👇

Raigarh News:- ग्राम पंचायत रक्सापाली में परत दर परत उधड़ने लगी भ्रष्टाचार की परतें , कार्यवाही की मांग को लेकर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन।

जांच में लाखों की अनियमितताओं का खुलासा , रसूखदारों के आगे जांच की आंच ना हो जाए ठंडी। पढ़े पूरी खबर…👇👇

रायगढ़/ रायगढ़ जिले के ग्राम पंचायत रक्सापाली में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने प्रशासन और जनता को हिला दिया है। जांच कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में पंचायत में कई लाख रुपयों की अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। शासकीय भवनों की मरम्मत, नरेगा फंड, विधायक निधि, तालाब निर्माण, पंप स्थापना, मछली पालन, और गोठान विकास के नाम पर फर्जी तरीके से राशि निकाले जाने की बात सामने आई है। इसके बावजूद संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे जनता में आक्रोश व्याप्त है।

मरम्मत कार्य में फर्जी आहरण का खेल…

जांच रिपोर्ट के अनुसार, शासकीय भवनों के मरम्मत कार्य के नाम पर लाखों रुपये निकाले गए, लेकिन जमीनी स्तर पर किसी प्रकार का कार्य होता नहीं पाया गया। आंगनवाड़ी भवन और प्राथमिक शाला भवन की मरम्मत के लिए क्रमशः ₹38,500 और ₹48,000 की राशि आहरित की गई थी, जो आज तक जमा नहीं की गई।

नरेगा और 14वें वित्त की राशि में हेरफेर…

नरेगा के तहत गोठान और नाडेप सोखता निर्माण के नाम पर ₹35,000 और ₹30,000 की निकासी हुई, जबकि यह कार्य जमीनी स्तर पर कहीं भी दिखाई नहीं दिया। इसी प्रकार, विधायक निधि से प्राथमिक शाला के लिए स्वीकृत ₹20 लाख में से 14वें वित्त की अतिरिक्त राशि ₹52,850, ₹58,000 और ₹18,000 का भी फर्जी आहरण पाया गया।

पंप स्थापना में भी गड़बड़….

देवांगन मोहल्ला, ठाकुर मोहल्ला और अन्य क्षेत्रों में पंप स्थापना के नाम पर लाखों की निकासी की गई, लेकिन इनमें से कई जगहों पर पंप लगाए ही नहीं गए। जिन स्थानों पर पंप लगाए गए, वहां पंचायत निधि का उपयोग नहीं हुआ, बल्कि जनता द्वारा चंदा इकट्ठा कर मरम्मत कार्य कराया गया।

मछली पालन और गोठान पर खर्च की गई फर्जी राशि….

मछली पालन और गोठान विकास के लिए भी ₹16,500 और ₹12,500 की राशि निकाली गई, लेकिन जांच में पाया गया कि इन कार्यों का कोई अस्तित्व नहीं है।

नाली निर्माण और पंचायत भवन निर्माण में हेरफेर…

नाली निर्माण के लिए ₹85,400 और पंचायत भवन निर्माण के लिए ₹3 लाख की राशि का आहरण हुआ। जांच में यह कार्य पूर्णतया फर्जी पाया गया, क्योंकि नाली और भवन का निर्माण जमीनी स्तर पर कहीं नहीं हुआ।

ऑडिट रिपोर्ट की अनदेखी…

ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से फर्जी निकासी की पुष्टि हुई है। रोकड़ पंजी में दर्ज विवरण से पता चलता है कि उक्त राशि पंचायत फंड में वापस जमा नहीं कराई गई है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

भ्रष्टाचार पर हो सख्त कार्रवाई…

ग्रामवासियों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने जिला कलेक्टर, वित्त मंत्री और अन्य उच्च अधिकारियों से अपील की है कि इस मामले की विस्तृत जांच कर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही फर्जी तरीके से निकाली गई राशि को पंचायत फंड में जमा कराया जाए।

बहरहाल यह मामला न केवल प्रशासनिक अनियमितताओं का उदाहरण है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे जनता के अधिकारों और निधियों का दुरुपयोग किया गया। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाता है।

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